Book Title: Avashyakasutram Part_1
Author(s): Bhadrabahuswami, Malaygiri, 
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 605
________________ उपोद्घात वारणं-निषेधनं माहेन्द्रक्षत्रियस्य सनत्कुमारो देवेन्द्रोऽकात्, नन्दिग्रामे पितृसखा-पितृवयस्यो भगवन्तं वन्दते, चन्द्रसूर्यानियुक्ती | मिण्ढिकग्रामे गोपस्योपसर्ग कर्ने प्रवृत्तस्य वित्रासनकं देवेन्द्रः-शकोऽकरोत् । वतारादि श्रीवीर-13 ततो सामी कोसंविं गतो, तत्थ सयाणितो राया मियावई देवी तच्चावादी धम्मपाढगो सुगुत्तो अमच्चो नंदा चरिते से भारिया, सा य समणोवासिया, ततो सडित्ति मियावतीए वयंसिया, तत्थेव नगरे धणावहो सेट्टी, तस्स मूला भारिया, एवं ते सकम्मसंपउत्ता अच्छंति, सामी य पोसबहुलपाडिवए इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हइ चउविहं, ॥२९॥ तंजहा-दवतो खेत्ततो कालतो भावतो, दबतो कुम्मासे सुप्पकोणेणं, खेत्ततो एलुगं विक्खंभइत्ता कालतो नियत्तमु | भिक्खायरेसु भावतो जइ रायधूया दासत्तणं पत्ता नियलबद्धा मुंडियसिरा अट्ठमभत्तिया एवं कप्पइ, सेसं न त कप्पइ, एवं अभिग्गहं घेत्तूण कोसंबीए अच्छइ, दिवसे २ भिक्खायरियं फुसइ, किंनिमित्तं ?, बावीसं परिमहा भिक्खायरियाए उदिति, एवं चत्तारि मासे कोसंबीए हिंडइ, ताहे नंदाए घरमणुपविठ्ठो, तीए सामिणो परेण ? आयरेण भिक्खा नीणिया, सामी निग्गतो, सो अद्धिति पकया, ताहे दासीतो भणंति-एस देवजगो दिवसे दिवसे | एत्थ एइ, ताहे ताए नायं-नूणं भयवतो अभिग्गहो कोइ, ततो निरायं चेव अद्धिती जाया, सुगुत्तो अमञ्चो आगओ, ताहे सो भणइ-किं अद्धिति करेसि ?, तीए कहियं, भणइ य-किं अहं अमच्चत्तणेणं ? एच्चिरं कालं है। सामी भिक्खं न लहइ ? किंवा तेण विनाणेण जइ एवं अभिग्गहं न याणसि; तेण आसासिया, कल्ले दिवसे, जहा भिक्खं लन्भइ तहा करेमि, एयाए कहाए वट्टमाणीए विजया नाम पडिहारी मियावतीर भणिया सा केणइ C ॥२९४॥ Jain Education fate For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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