Book Title: Avashyaka Kriya Sadhna
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 197
________________ १९६ गौण नाम गाथा प्रतिक्रमण में प्रतिक्रमण करते पद सुनने की मुद्रा । समय बोलनेवाली मुद्रा । संपदा मूल सूत्र शान्ति शान्ति - निशान्तं, ४६. श्री लघुशांति स्तव सूत्र आदान नाम : श्री शांतिं शांति विषयः श्री शांतिनाथ भगवान की स्तवना विविध विशेषणों से करके क्षुद्रोपद्रवादि | की शांति हेतु प्रार्थना है । निशान्तम् सूत्र : श्री शांति जिन स्तुति : १९ : ७६ : ७६ छंद का नाम : गाहा; राग : जिण जम्म समये मेरु सिहरे... (स्नात्र पुजा ) उच्चारण में सहायक पद क्रमानुसारी अर्थ श्री शांतिनाथ भगवान को शांति के गृह समान शांत रस से युक्त अशिव शांत हो चुके हैं। नमस्कार करके शान्-तिम् शान्-ति-नि-शान्-तम्, शान्तं शान्ता - शिवं नमस्कृत्य । शान् तम् शान्ता शिवम् नमस्कृत्य । ओमिति निश्चित-वचसे, नमो नमो भगवतेऽर्हते पूजाम् । स्तोतुः शान्-ति-निमित्-तम्, मन्त्र- पदैः शान्तये स्तौमि ॥१॥ स्तुति करनेवालों की शांति में निमित्त भूत मंत्र पदों से शांति के लिए में स्तुति करता हूँ ।१. स्तोतुः शान्ति-निमित्तं, मन्त्रपदैः शांतये स्तौमि ॥ १ ॥ गाथार्थ : शांति के गृह समान, शान्त रस से युक्त, अशिव शांत हो चूके हैं जिनके और स्तुति करनेवालों की शांति के लिये है जो, ऐसे श्री शांतिनाथ भगवान को नमस्कार करके, शांति में निमित्तभूत मंत्र पदों से मैं स्तुति करता हूँ । १. ओमि-ति निश् चित वचसे, नमो नमो भग-व-तेर्-हते पूजाम् । शान्ति - जिनाय जयवते, शान्-ति-जिना-य जय-वते, यशस्-विने स्वामिने दमि-नाम् ॥२॥ गाथार्थ : ॐ ऐसे निश्चित वचन वाले, पूजा के योग्य भगवान, जयवान, यशस्विने स्वामिने दमिनाम् ॥२॥ वारंवार नमस्कार हो । २. 'ॐ' ऐसे, निश्चित वचनवाले नमस्कार हो, नमस्कार हो / वारंवार नमस्कार हो पूजा के योग्य भगवान श्री शांतिनाथ जिनेश्वर को जयवान, यशस्वी और दमन करनेवालों के स्वामी । २. यशस्वी और योगीश्वर श्री शांतिनाथ जिनेश्वर को सकलातिशेषक-महा सक-ला- तिशे-षक-महा सर्व अतिशय रूपी महा संपत्ति समन्विताय शस्याय । सम्-पत्-ति-समन्- विताय शस्-याय । संपत्ति से युक्त प्रशस्त और त्रैलोक्य- पूजिताय च त्रैलोक्-य-पू-जिताय च, त्रैलोक्य पूजित नमो नमः शान्तिदेवाय ॥३॥ ! नमो नमः शान्-ति- देवाय ॥३॥ वारंवार नमस्कार हो, श्री शांतिनाथ भगवान को । ३. गाथार्थ : सर्व अतिशय रूपी महा संपत्ति से युक्त, प्रशस्त और त्रैलोक्य पूजित श्री शांतिनाथ भगवान को वारंवार नमस्कार हो । ३. सर्वामर-सुसमूह सर्-वा-मर-सु-समूह सर्व देव समूह के स्वामियों द्वारा स्वामिक-संपूजिताय (नि)न जिताय । स्वा-मिक-सम् - पूजिताय (नि) न जिताय । विशिष्ट रूप से पूजित, अजय, भुवन-जन-पालनोद्यत भुवन-जन- पाल-नो-द्य (द्य ) -त विश्व के लोगों का पालन करने में तत्पर रहने वाले, उनको सदा नमस्कार हो । ४. For Private & Personal Use Only तमाय सततं नमस्तस्मै ॥४॥ तमा-य-सत-तम् नमस्तस्मै ॥४॥ गाथार्थ : सर्व देव समूह के स्वामियों द्वारा विशिष्ट प्रकार से पूजित, अजेय, विश्व के लोगों का रक्षण करने में सदा तत्पर रहने वाले... उनको सदा नमस्कार हो । ४. www.janeling

Loading...

Page Navigation
1 ... 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274