Book Title: Avashyaka Kriya Sadhna
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 233
________________ भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। नवकारशी तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति है, परिणाम है। काउस्सग्ग की यह विधि गुरुगम से सीखकर, इसप्रकार काउस्सग्ग करना चाहिए। यदि यह सम्भव हो तो १६ बार श्री नवकारमंत्र का काउस्सग्ग करना चाहिए। भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। अठारह अब्भत्तटुं(८ उपवास) तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। सोलह अब्भत्त₹ (७ उपवास) तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। चौदह अब्भत्तटुं (६ उपवास) तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। बारह अब्भत्तटुं ( ५ उपवास) तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। दशम अब्भत्त₹ (४ उपवास) तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। अट्ठम अब्भत्तटुं ( ३ उपवास) तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। छ8 अब्भत्तटुं (२ उपवास) तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। चोथ अबभत्तटुं (एक उपवास के आगे-पीछे एकासणा) कर सकोगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नही है। अब्भत्तटुं (उपवास के आगे-पीछे एकासणा रहित १ उपवास) कर सकोगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। आयंबिल तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। लुखी नीवि तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। एकलठाण का एकासणा तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। ठाम चउविहार आयंबिल तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। ठाम चउविहार एकासणा तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। एकासणा तुम कर सकोगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। बियासणा तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। अवड्ढ तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। पुरिमड्ढ तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। साड-पोरसी तुम कर सकोंगे क्या? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। पोरिसी तुम कर सकोंगे क्या ? प्रश्न ११.'चौतीश अब्भत्त' से 'चोथ अब्भत्तट्ट' तक उपवास की संख्या की अपेक्षा पच्चक्खाण सूत्र की संख्या (जैसे चौतीश =१६ उपवास, अट्ठम = ३ उपवास) अधिक किस कारण से होती है? उत्तर: सामान्यतः भोगी महानुभाव को दिन में मात्र दो बार ही भोजन लेने का विधान शास्त्रों में बतलाया गया है । (एकबार खाए = योगी, दो बार खाए भोगी तथा तीन बार खाए-रोगी कहलाता है)। उसके अनुसार १६ उपवास करनेवाला व्यक्ति प्रतिदिन दो बार भोजन का त्याग करने के कारण १६x२ = ३२ बार भोजन का त्याग करता है तथा उपवास के प्रारम्भ में अगले दिन भी एकासणा का तप करने से तथा पारणा के दिन एक ही बार भोजन लेना अर्थात् एकासणा का तप करने के कारण आगे-पीछे के दिन के एक-एक बार के भोजन का त्याग करने के कारण ३२+२ = ३४ बार भोजन का त्याग करने से १६ उपवास करनेवाले को ३४ अब्भत्तट्ट का पच्चक्खाण दिया जाता है, उसके अनुसार अन्य सारी बातें चौथ अब्भत्तट्ट पच्चक्खाण तक समझ लेना चाहिए। (जीताचार के अनुसार आगे-पीछे एकासणा नहीं करनेवाले को भी उपर्युक्त पच्चक्खाण दिया जाता है।) प्रश्न १२ 'सकलतीर्थ' सूत्र यहा किस हेतु से बोला जाता है? उत्तर: जगत में स्थित शाश्वत-अशाश्वत जिन चैत्यों तथा जिनबिंबों। को प्रातःकाल वन्दना करने से तीर्थों के प्रति विशेष आदरभाव उत्पन्न होता है तथा बोलते-सुनते समय उन तीर्थों को नजर के समक्ष रखकर भावपूर्वक वन्दना करने से हृदय से पावन बना जाता है । अतः यहा महामंगलकारी सकलतीर्थ वन्दना सूत्र मंदस्वर में बोला जाता है। प्रश्न १३ 'सामायिक... काउस्सग्ग पच्चक्खाण किया है जी !' बोलना चाहिए कि 'पच्चक्खाण धारण किया है जी!'बोलना चाहिए? उत्तर: सकलतीर्थ वंदना के बाद तप चिंतवणी काउस्सग्ग में । निर्णित पच्चक्खाण उच्चारपूर्वक लिया हो तो 'पच्चक्खाण किया है जी' बोलना चाहिए तथा पच्चक्खाण सूत्र नहीं आता हो और उसने पच्चक्खाण की धारणा की हो तो 'पच्चक्खाण धारण किया है जी' बोलना चाहिए। २३६ ation International ate & Personal Use Only ory.org.

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