Book Title: Avashyaka Kriya Sadhna
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 236
________________ ECCre 'आलोवेह' तब 'इच्छं', आलोएमि, जओ मे राइओ... सूत्र पूर्ण बोलें । उसके बाद मुँहपत्ति के उपयोग के साथ क्रमशः 'सात लाख सूत्र' तथा 'अढार पाप स्थानक सूत्र' । (१२) मंगल-स्तुति बोलकर योगमुद्रा में आदेश मांगें-'सव्वस्स वि राइअ | ___ उसके बाद 'इच्छामो अणुसटुिं' बोलकर पुरुष चादर का दुच्चिंतिअ दुब्भासिअ दुच्चिद्विअ इच्छाकारेण संदिसह । उपयोग कर चैत्यवंदन मुद्रा में बैठकर योगमुद्रा में दोनों हाथ भगवन् !' गुरु भगवंत कहें 'पडिक्कमेह' तब 'इच्छं, तस्स | जोड़कर नम्रता पूर्वक 'नमो खमासमणाणं' बोलकर श्रेष्ठजन मिच्छा मि दुक्कडं' कहकर बाद में गोदोहिका (वीरासन ) में | (मात्र पुरुष ) 'नमोऽर्हत्' सूत्र बोलकर 'विशाल लोचन-दलं सूत्र' बेठकर योगमद्रा में दोनों हाथ जोडकर बोले... श्री नवकार बोले । स्त्रिया 'नमो खमासमणाणं' बोलकर 'श्री संसार महामंत्र' 'करेमि भंते ! इच्छामि पडिक्कमिउं, जो मे | दावानल' की प्रथम तीन गाथाए बोलें। राइओ...' सूत्र क्रमशः बोलकर श्री वंदित्तु सूत्र (सावग (१३) देव-वंदन पडिक्कमण सुत्त ) बोलें । उसमें ४३वीं गाथा 'अब्भुट्ठिओमि | उसके बाद 'नमुत्थुणं सूत्र' बोलकर खड़े होकर योगमुद्रा में आराहणाए' बोलते हुए खड़े होकर शेष सत्र बोलें । उसके। 'अरिहंत चेइआणं' - 'अन्नत्थ सूत्र' बोलकर एक बार श्री नवकार बाद दो वांदणां देकर अवग्रह में रहकर गरुवंदन । महामंत्र का कायोत्सर्ग करें। विधिपूर्वक काउस्सग्ग पारकर (मात्र (अब्भुदिओ सूत्र के द्वारा) करके पुनः दो वांदणां देकर पुरुष ) नमोऽर्हत् बोलकर श्री कल्लाण कंदं सूत्र' की प्रथम गाथा 'आयरिय-उवज्झाए' सूत्र अवग्रह में रहकर बोलें। बोलें । उसके बाद श्री लोगस्स सूत्र - सव्वलोए अरिहंत चेइआणं (१०) पांचवां कायोत्सर्ग आवश्यक | अन्नत्थ सूत्र' क्रमशः बोलकर एक बार श्री नवकार महामंत्र का उसके बाद अवग्रह से बाहर निकलकर करेमि भंते ।। कायोत्सर्ग करें । विधिपूर्वक पारकर 'श्री कल्लाण कंदं सूत्र' की 'इच्छामि ठामि काउस्सग्गं, जो मे राइओ-तस्स उत्तरी' तथा । दूसरी गाथा बोलें । उसके बाद 'श्री पुक्खर-वर-हीवड्डे सूत्र''अन्नत्थ सूत्र'क्रमशः बोलकर तप चिंतवणी' का कायोत्सर्ग | 'सुअस्स भगवओ-वंदणवत्तियाए-अन्नत्थ सूत्र' क्रमशः बोलकर करें। यदि वह नहीं आता हो तो सोलह बार श्री नवकार। एक बार श्री नवकार महामंत्र का कायोत्सर्ग कर विधिपूर्वक मंत्र का कायोत्सर्ग करें। विधिपूर्वक कायोत्सर्ग पारकर श्री। पारकर श्री कल्लाण कंदं सूत्र' की तीसरी गाथा बोलें। लोगस्स सूत्र बोलें। उसके बाद श्री सिद्धाणं-बुद्धाणं सूत्र-वेयावच्चगराणं - (११) छठा प्रत्याख्यान आवश्यक अन्नत्थ सूत्र' क्रमशः बोलकर एक बार श्री नवकारमंत्र का उसके बाद यथाजात मुद्रा में बैठकर छठे। कायोत्सर्ग करें । विधिपूर्वक कायोत्सर्ग पारकर (मात्र (पच्चक्खाण) आवश्यक की मुहपत्ति के ५० बोल मन पुरुष) नमोऽर्हत्' बोलकर 'श्री कल्लाणकंदं सूत्र' की चौथी थोय में बोलते हुए पडिलेहण करें। उसके बाद दो वांदणारे बोलें। चैत्यवंदन मुद्रा में चादर (खेस) के उपयोग के साथ भावपूर्वक 'सकल तीर्थ-वंदन' सूत्र बोलें । फिर। अनुसार दोनों हाथ जोड़कर 'नमुत्थुणं' बोलें । उसके बाद क्रमशः गुरुभगवंत के पास अथवा श्रेष्ठजनों के पास, यदि दोनों न । सत्रह संडासा पूर्वक चार खमासमण दें। उसमें प्रत्येक खमासमण हों तो स्वयं तप चिंतवणी में निर्धारित किया गया के बाद पंच परमेष्ठि वंदना' स्वरूप 'भगवान्हं' से 'सर्व साधू हं' पच्चक्खाण उच्चारण पूर्वक लें और यदि वह पच्चक्खाण तक सूत्र बोले। सत्र नहीं आता हो तो उस पच्चक्खाण की धारणा करें।। (पौषधव्रतधारी श्रावक-श्राविका चार खमासमणा देने से उसके बाद बोलें-'सामायिक, चउविसत्थो, वांदणां.। पहले दो खमासमण निम्नलिखित आदेश मांगते हुए देंपडिक्कमण, काउस्सग्ग, पच्चक्खाण कर्य छ जी.' (यदि । इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! बहुवेल संदिसाहं ? गुरुभगवंत कहेपच्चक्खाण उच्चारण पूर्वक लिया हो तो) अथवा | “संदिसावेह' तब 'इच्छं' बोलें, उसके बाद एक दूसरा खमासमण पच्चक्खाण धार्य छ जी (यदि पच्चक्खाण उच्चारण पर्वका देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! बहवेल करशं ?' लेने की जगह मात्र धारणा की हो तो।) गुरुभगवंत कहें करजो' तब 'इच्छं' बोलें।) For Private & Personal D wow.jamab४३

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