Book Title: Ashtapahud Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 9
________________ की दृष्टि से शाब्दिक अनुवाद, प्रत्येक शब्द का मूल रूप, अर्थ और विभक्ति आदि का सरल पद्धति से विश्लेषण भी किया है। ___डॉ. कमलचन्द जी सोगाणी, जैन दर्शन और प्राकृत भाषा के माने हुए विद्वान हैं और प्राकृत वाङमय के अनन्य उपासक भी। वर्तमान में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में दर्शन-विभाग में प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं। हमें प्रसन्नता है कि श्री सोगाणी जी द्वारा सम्पादित चयनिका संज्ञक चार पुस्तके प्राचारांग-चयनिका, वाक्पतिराज की लोकानुभूति, समणसुत्तं चयनिका, दशवैकालिक-चयनिका-प्राकृत भारती अकादमी पूर्व में ही प्रकाशित कर चुकी है और प्राकृत भारती के पुष्प 42वें के रूप में यह "अष्टपाहड चयनिका" प्रकाशित की जा रही है तथा शीघ्र ही प्रवचनसार, समयसार और परमात्मप्रकाश की चय निकायें भी प्रकाशित की जायेंगी। - हमें आशा है कि पाठकगण इस चयनिका के माध्यम से प्राचार्य कुन्दकुन्द के दृष्टिकोण को सुगमता के साथ हृदयंगम कर सकेंगे और प्राकृत भाषा के जानकार भी बन सकेंगे। - म. विनयसागर निदेशक एवं संयुक्त सचिव देवेन्द्रराज मेहता सचिव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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