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Aptamīmāṁsā
Reality can be established by both - the authentic middle term (hetu) and the true authority (āpta):
वक्तर्यनाप्ते यद्धेतोः साध्यं तद्धेतुसाधितम् । आप्ते वक्तरि तद्वाक्यात् साध्यमागमसाधितम् ॥७८॥
सामान्यार्थ - वक्ता के अनाप्त होने पर जो हेतु से सिद्ध किया जाता है वह हेतु-साधित (युक्तिसिद्ध) कहा जाता है और वक्ता के आप्त होने पर उसके वचनों से जो सिद्ध किया जाता है वह आगम-साधित (शास्त्रसिद्ध) कहा जाता है। (आप्त यथार्थ वस्तु-तत्त्व का प्रतिपादक एवं अविसंवादक है।)
When the promulgator of Reality is 'not a true authority' (anāpta), whatever is established through the use of the authentic middle term (hetu) is called hetu-established; when the promulgator of Reality is ‘a true authority' (āpta), whatever is established through his incontrovertible statement is called āpta-established.
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