Book Title: Aptamimansa
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp Printers

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Page 218
________________ Aptamīmāṁsā कारिका का प्रथम चरण --- Verse No. Page --- 111 172 - 19 39 वाक्स्वभावोऽन्यवागर्थविधेयप्रतिषेध्यात्मा विधेयमीप्सितार्थाङ्ग विरूपकार्यारम्भाय विरोधान्नोभयैकात्म्यं 113 174 92 95 114 121 127 132 141 94 147 151 64 148 95 100 154 20 40 115 विवक्षा चाविवक्षा च विशुद्धिसंक्लेशाङ्गं चेत् शुद्ध्यशुद्धी पुनः शक्ती शेषभङ्गाश्च नेतव्या संज्ञासंख्याविशेषाच्च स त्वमेवासि निर्दोषो सत्सामान्यात्तु सर्वैक्यं सदात्मना च भिन्नं चेत् सदेव सर्वं को नेच्छेत् सधर्मणैव साध्यस्य संतानः समुदायश्च सर्वथाऽनभिसम्बन्धः 15 32 106 164 29 56 66 110 . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 192

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