Book Title: Aptamimansa
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp Printers
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Aptamīmāṁsā
कारिका का प्रथम चरण
--- Verse No.
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वाक्स्वभावोऽन्यवागर्थविधेयप्रतिषेध्यात्मा विधेयमीप्सितार्थाङ्ग विरूपकार्यारम्भाय विरोधान्नोभयैकात्म्यं
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विवक्षा चाविवक्षा च विशुद्धिसंक्लेशाङ्गं चेत् शुद्ध्यशुद्धी पुनः शक्ती शेषभङ्गाश्च नेतव्या संज्ञासंख्याविशेषाच्च स त्वमेवासि निर्दोषो सत्सामान्यात्तु सर्वैक्यं सदात्मना च भिन्नं चेत् सदेव सर्वं को नेच्छेत् सधर्मणैव साध्यस्य संतानः समुदायश्च सर्वथाऽनभिसम्बन्धः
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