Book Title: Anusandhan 2016 05 SrNo 69
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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मार्च - २०१६
१२१
क्यांथी क्यां गयो अने त्यां जईने केवी केवी रीते परमात्मानी द्रव्य पूजा, भावपूजा करी, सङ्घनी भक्ति केवी रीते कोणे कोणे करी आदि प्रसंगोने आवरी लीधा छे. १८मी सदीमां भरुचना मोभी गणाता अवा धर्मचन्द के जेणे आ सङ्घ लई तीर्थयात्रा कराववानो संकल्प को हतो. तेमना पितानु नाम मोतीचन्दभाई तथा माता नाम धोलीबाई हतुं.
पोसहशाला अर्थात् उपाश्रयमां अकवार सद्गुरुना मुखे प्रभुपूजाना फलने सांभळता तेओने भवनिस्तार करवा जिनयात्राओ सङ्घ लई जवानो उल्लास प्रगट्यो. चित्तथी उदार भावनावाळा तेओ पोतानी शक्ति अनुसार धार्मिक कार्योमा पोतानी लक्ष्मीनो सद्व्यय करनारा तो हता ज, साथे साथे से लक्ष्मीथी मात्र पोते अकला ज प्रभुनी सेवा करे ओ करतां अन्य गामवासीओ पण तेमां जोडाय तेवी भावनाथी तेओओ आ छ'री पालित सङ्घ लई जवानी भावना भावी अने भरुचथी कावी-गंधार मुकामे छ'री पालित सङ्घना सङ्घवी थवानो निर्णय कर्यो..
धर्मचन्दभाईना बीजा भाई न्यालचन्दभाई पण तेमां जोडाया. आ न्यालचन्दभाईना पुत्र झवेरचन्दभाई जेमने सङ्घनां कार्यो करवा खूब गमता ते, अने झवेरचन्दभाईनो पुत्र केशवजीभाई ते सहुकोई सङ्घमां जवा उल्लसित थया. अन्य घणा व्यक्तिओ आ सङ्घमां जोडाया ते तेमना काका-भत्रीजा आदि सगावहाला हता. - अभेचन्दभाई, खुशालचन्दभाई, दुलभ, जीवण, कल्याणकाका, मोतीनागर, विचरंद ठावली, रुपानागर, प्रेमचन्दभाई, नीहालभाई, धर्मनागर तेमनो पौत्र सोहचंदभाई वर्धमानभाई अने तेमना त्रणे पुत्रो अमरचन्दभाई, सोमचन्दभाई तथा कल्याणभाई, नथूभाई अने तेमना पुत्र चन्दरभाई, दीयाभाई, दुलाभाई, अभाभाई आदि अनेक श्रेष्ठीओ, सङ्घमां जोडाया.
भरुच गामना तो श्रावको जोडाया पण अन्य गामना लोको पण आ सङ्घमां जोडाया हतां जेमके* बोशाला गामथी गलालभाई अने विरचन्दभाई, गलालभाईना पुत्र विमलचन्दभाई,
माणिकचन्दभाई तथा नाना वेलजीभाई, आ बधाओ पण त्रोशला गामथी सङ्घमां हाजरी आपी हती.

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