Book Title: Anusandhan 2016 05 SrNo 69
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 156
________________ मार्च - २०१६ १४९ भाषा सेनाउरि-संभव सामिअ संभव, भव संभव भावठि हरइ ओ निअ नयणे निरखीअ हीअडउं हरखीअ, सखीअ पूजा करई ओ ॥१०॥ मानिनि मनरंगिइं मिलंति जिणभवण मझारीअ जोईअ जिणवर तणउं रूप जंपई सुविचारीअ आज अमिअमय मेह एह अम्ह उवरि वरीसइ आज सुधारस सरस धार अम्ह नयणि पईसइ इण परि हरिख हीइ धरीअ करीअ नयण सुकयत्थ हवई प्रभु पय पूजा रचई ओ निरमालडीओ, मुणिअ धरम परमत्थ ॥११॥ ओरसि घसि घन घनसार केसर कसतूरीअ कनक कचोली करि धरति चंदन संपूरीअ सिवसुखदायक पाय मूलनायक चरचंतीअ श्रीशंभव जिन अंगि रंगि अंगीअ रचंतीअ हार हीई मृगनाभिनु सोहामणउ सुहाई सकल सामि नितु समरतां निरमालडीओ, दूरि दुरित सवि जाइं ॥१२॥ वउलसिरी मुचकुंद कुंद मकरंद रसाल करणीके कुसुम सार पारधि सुविशाल चंपकनइ जासूल फूल वालउ वासंतीअ पूरई परिमल तणइं पूरि दह दिसी वासंतीअ विविध कुसुमि पूजा करीअ पूरी मनची आस जिमणइं पासइं पास जिण निरमालडीओ, पूजिसु महिमनिवास ॥१३।। भाषा अरचीअ अलवेसर पणय सुरेसर केसर कुसुम कपूरिवर सामिअ सिवगामिअ. हुं. सिर नामीअ पामीअ परमाणंदभर ॥१४॥ हवई जिन जगति जुहारीइ तु भमझली, बे कर अंजलि जोडि परमेसर पय पूजतां तु भमुरुली, जांई करमनी कोडि ॥१५॥ सहजपाल कराविउ तु भमरुली, दक्षिण भद्रविहार आदीसर तिहां वंदीइ तु भमरुली, रयण मूरति अतिसार ॥१६॥ उत्तर दिसि जे भद्र अछई तु भमरुली, गोइंद कराविअ रंगि तिहां रयणमय वीर जिण तु भमरुली, पूज करिसु प्रभु अंगि ॥१७॥

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