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डिसेम्बर २०१०
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पछी गुजरातीतामां ने भारतीयतामां अरब्बी-पर्शियन भळे छे. सल्तनतकाळ, मुगलकाळ, मराठाकाळमां अमां घणुं बधुं नवं आवे छे, जूनुं लुप्त थाय छे. उत्तरार्धना त्रीजा सांस्कृतिक काळमां पो गीझ, अंग्रेजी वगेरे प्रभाव पडता जाय छे. भाषा/बोलीमां ज नहीं, साहित्यमां, अन्य कलाओमां, परम्परा अने जीवनअभिगम अने दृष्टिमां परिवर्तन आवे छे. केटलुक अनिच्छनीय पण प्रवेशे छे - जे नथी आपणी भारतीयताने के नथी गुजरातीताने संगत ! आ सांस्कृतिक सन्दर्भे पण नवा गुजरातीयुगना प्रभावक, अरुणगुजरातना भारतीयस्तरना प्रथम पण्डित हेमचन्द्राचार्य अने ओमनुं साहित्य. गुजरातनी संस्कृतिनुं मुख्य प्रवेशद्वार हेमचन्द्रीय साहित्य छे.
१, पद्मावती बंग्लोझ, भाविनस्कूल-महालक्ष्मीधाम सामे, थलतेज, अमदावाद-३८००५९ दूरभाष : ०७९-२६८५३६२४