Book Title: Anusandhan 2010 12 SrNo 53
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 149
________________ डिसेम्बर २०१० लिङ्गानुशासन उणादिगणविवरण धातुपरायणविवरण ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. देशीनाममाला अभिधानचिन्तामणिनाममाला अनेकार्थ कोष निघण्टु कोष १३. काव्यानुशासन सविवरण १४. छन्दोनुशासन सविवरण १५. संस्कृत द्वयाश्रय १७. प्रमाणमीमांसा (अपूर्ण) ३९८४ ३२५० ५६०० १०००० १८२८ ३९६ ३५०० ६८०० ३००० १५०० २५०० १००० ३६००० ३५०० १२७५० १८८ ३२ ३२ ४४ १४३ १८. वेदाङ्कुश १९. त्रिषष्टिशलापुरुषचरित महाकाव्य २०. परिशिष्ट पर्व २१. योगशास्त्र २२. वीतरागस्तोत्र २३. अन्ययोगव्यवच्छेद द्वात्रिंशिका २४. अयोगव्यवच्छेद द्वात्रिंशिका २५. महादेव स्तोत्र कहा जाता है कि इन्होंने ३.५ करोड़ श्लोको का निर्माण किया था किन्तु आज उसका शतांश ही २,०७,००० श्लोक प्रमाण ही साहित्य प्राप्त होता है । विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा कुछ साहित्य जला दिया होगा, कुछ नष्ट हो गया होगा और कुछ भण्डारों में उपेक्षित पड़ा हुआ होगा । प्राप्त साहित्य पर किञ्चित् विवेचन प्रस्तुत : है सिद्धहेमशब्दानुशासन, ७ अध्याय - आचार्य हेमचन्द्र ने अपने समय में उपलब्ध समस्त व्याकरण वाड्मय का अनुशीलन कर अपने 'शब्दानुशासन' एवं अन्य व्याकरणग्रन्थों की रचना की । हेमचन्द्र के पूर्ववर्ती व्याकरणों में तीन दोष-विस्तार, कठिनता एवं क्रमभङ्ग या अनुवृत्तिबाहुल्य पाये जाते हैं,

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