Book Title: Anusandhan 2010 12 SrNo 53
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 183
________________ डिसेम्बर २०१० १७७ रघुवीर चौधरीले आजे थयेलुं त्रण विद्वानो, सन्मान मात्र मध्यकाळनुं रहस्य जाणनारा, गुजरात के पश्चिम भारतना ज नहीं पण समग्र भारतना विद्यापुरुषोनुं अभिवादन छे अम कहीने पोतानो हर्ष व्यक्त को हतो. त्यारबाद कविश्री राजेन्द्र शुक्ले पोतानी तीर्थ-उध्धारनो भाव व्यक्त करती बे रचनाओनुं पठन कर्यु हतुं. 'शून्य, शिखर समरावशें, ऊर्ध्व- चैत्य उधरावशें, तीर्थ उद्धारशुं आगवू, शब्दनुं बिम्ब पधरावशें, अवनवी आंगी रचशुं वळी, गन्ध कर्पूर पमरावशें, मौनना मन्द मन्द स्वरे गाइशें, स्तवन गवरावरों, नित्य आनन्दनी गोचरी, वापर्यु अ ज वपरावशें...' समापन पछी चन्द्रक-प्रदानना उपलक्ष्यमां, ते ज दिवसे बपोरे ओक विद्वद्गोष्ठी (सेमिनार)नुं आयोजन करवामां आवेलं. तेमां पण डॉ. शिरीष पंचाल, हर्षद त्रिवेदी, सिमलाथी पधारेला संस्कृतना विद्वान अने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालयना पूर्व कुलपति,त्रिवेणी कविश्री डॉ. अभिराज राजेन्द्र मिश्र, अमेरिका छोडीने अमदावादमां स्थायी थयेला नाट्यविद् जयन्ति पटेल 'रंगलो' तथा विविध विद्वान प्राध्यापकोओ 'वर्तमान समयमां समाज अने साहित्यना सम्बन्धो' तथा 'मध्यकालीन साहित्यना संशोधन क्षेत्रे अध्यापकोनी उदासीनता' विषये व्याख्यानो आपेलां. जे खरेखर विद्वद्भोग्य अने जिज्ञासानी तृप्ति करे तेवा हता. समारम्भना आगला दिवसे ता. आठमीनी रात्रे ओक नानकडो पण अर्थसघन कविमेळो हठीसिंहनी वाडीना पटांगणमां करवामां आवेलो, जेमां सर्वश्री लाभशंकर पुरोहित, दलपत पढियार, निरंजन राज्यगुरु, किशोरचन्द्र पाठक तथा डॉ. राजेन्द्र मिश्र वगेरेओ भाग लीधो हतो.

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