Book Title: Anusandhan 2010 12 SrNo 53
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 139
________________ डिसेम्बर २०१० १३३ चतुर्दशी शनिवार को हुआ था । जिनमण्डनगणि कृत कुमारपाल प्रबन्ध के अनुसार इनका दीक्षा संवत् ११५४ लिखा है। जो कि काल गणना के अनुसार युक्त संगत प्रतीत होता है । प्रबन्ध चिन्तामणि, प्रबन्ध कोष, पुरातन प्रबन्ध सङ्ग्रह आदि ग्रन्थकार भी दीक्षा समय ८ वर्ष ही बतातें हैं । अतः ११५४ ही उपयुक्त प्रतीत होता है। प्रो. पारीख (काव्यानुशासन प्रस्तावना, पृष्ठ २६७६८, महावीर विद्यालय, बम्बई)ने बुल्हर के मत का खण्डन करते हुए दीक्षा संवत् ११५४ ही स्वीकार किया है । उनका कथन है कि आचार्य देवचन्द्र की दृष्टि चांगदेव परव विक्रम संवत् १९५० में ही पड़ी होगी । प्रबन्ध चिन्तामणि के अनुसार इनकी दीक्षा खम्भात में न होकर कर्णावती । (आज का अहमदाबाद) में हुई थी और दीक्षा महोत्सव में चाचिग भी सम्मिलित था । नामकरण संस्करण के समय इनका नाम सोमचन्द्र रखा गया । दीक्षा ग्रहण करने के पश्चात् सोमचन्द्र विद्याध्ययन में संलग्न हुए । उन्होंने प्रभावक चरित्र (हेमचन्द्रसूरि प्रबन्ध, श्लोक ३७) के अनुसार तर्क, लक्षण एवं साहित्य विद्या पर थोड़े से समय में ही अधिकार प्राप्त कर लिया। तर्क, लक्षण और साहित्य उस युग की महान् विद्याएँ मानी जाती थी और इस महत्रयी का पाण्डित्य राज दरबार और जन समाज में अग्रगण्य होने के लिए अत्यावश्यक था । सोमचन्द्र की शिक्षा का प्रबन्ध स्तम्भतीर्थ में उदयन मन्त्री के निवास स्थान पर ही हुआ था । प्रो. पारीख (काव्यानुशान की अंग्रेजी प्रस्तावना) के मतानुसार हेमचन्द्र ने गुरु देवचन्द्रसूरि के साथ देश-देशान्तर परिभ्रमण करते हुए शास्त्रीय एवं व्यावहारिक ज्ञान की अभिवृद्धि की थी । डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री के मतानुसार (आचार्य हेमचन्द्र और उनका शब्दानुशासनएक अध्ययन, पृष्ठ १३, - नेमिचन्द्र शास्त्री) हेमचन्द्र नागोर में धनद नामक सेठ के यहाँ तथा देवचन्द्रसूरि और मलयगिरि के साथ गौड़ देश के खिल्लर ग्राम गए थे तथा स्वयं काश्मीर गए थे । संवत् ११६६ में नागपुर के धनद नामक व्यापारी ने ही सूरिपद प्रदान महोत्सव किया था । इस प्रकार २१ वर्ष की अवस्था में हेमचन्द्र आचार्य बन गए थे । गुरु का नाम डॉ० बुल्हर के मतानुसार हेमचन्द्र ने अपने किसी भी ग्रन्थ में अपने

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