Book Title: Anusandhan 2010 12 SrNo 53
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 132
________________ अनुसन्धान- ५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग - १ के बिना जंगली लोगों की बहादुरी जैसे अर्थहीन लगती है । इसे स्वयं का संस्कार-धन सँभालने का रहा । " १२६ समन्वय, “सिद्धराज जयसिंह को हेमचन्द्राचार्य नहीं मिले होते तो जयसिंह की पराक्रम गाथा आज वाल्मीकि के बिना ही रामकथा जैसी होती और गुजरातियों को स्वयं की महत्ता देखकर प्रसन्न होने का तथा महान होने का आज जो स्वप्न आता है, वह स्वप्न कदाचित् नहीं आता । हेमचन्द्राचार्य के बिना गुजराती भाषा के जन्म की कल्पना नहीं की जा सकती, इनके बिना वर्षों तक गुजरात को जाग्रत रखनेवाली संस्कारिता की कल्पना नहीं की जा सकती और इनके बिना गुजराती प्रजा के आज के विशिष्ट लक्षणों विवेक, अहिंसा, प्रेम, शुद्ध सदाचार और प्रामाणिक व्यवहार प्रणालिका की कल्पना नहीं की जा सकती । हेमचन्द्राचार्य मानव के रूप में महान थे, साधु के रूप में अधिक महान थे, किन्तु संस्कारद्रष्टा की रीति से ये सबसे अधिक महान थे । इन्होंने जो संस्कार जीवन में प्रवाहित किए, इन्होंने जो भाषा प्रदान की, लोगों को जिस प्रकार बोलना / बोलने की कला प्रदान की, इन्होंने जो साहित्य दिया, वह सब आज भी गुजरात की नसों में प्रवाहित है, इसीलिये ये महान गुजराती के रूप में इतिहास में प्रसिद्धि पाने योग्य पुरुष हैं ।" - ' x x x जिसको गुजरात की संस्कारिता में रस हो, उसे इस महान गुजराती से प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिये ।" - धूमकेतु : श्री हेमचन्द्राचार्य, पृ. ७-८ ( गुजराती से हिन्दी ) " गुजरात के इतिहास का स्वर्णयुग, सिद्धराज जयसिंह और राजर्षि कुमारपाल का राज्यकाल है । इस युग में गुजरात की राजनैतिक दृष्टि से उन्नति हुई, किन्तु इससे भी बढ़कर उन्नति संस्कार - निर्माण की दृष्टि से हुई । इसमें जैन अमात्य, महामात्य और दण्डनायकों को जो देन है, उसके मूल में महान जैनाचार्य विराजमान हैं । x x x वि.सं. ८०२ में अणहिलपुर पाटण की स्थापना से लेकर इस नगर में उत्तरोत्तर जैनाचार्यों और महामात्यों का सम्बन्ध बढ़ता ही गया था और उसी के फलस्वरूप राजा कुमारपाल के समय में जैनाचार्यों के प्रभाव की पराकाष्ठा का दिग्दर्शन आचार्य हेमचन्द्र में हुआ । x x x वे अपनी साहित्यिक साधना के आधार पर कलिकाल

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