Book Title: Anusandhan 2007 07 SrNo 40 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 5
________________ १ २१ अनुक्रमणिका श्री देवभद्रसूरि रचित चतुर्विंशति - जिन स्तोत्राणि म० विनयसागर श्री नरेन्द्रप्रभसूरि विरचित - सूक्तमाला अमृत पटेल वाचकोत्तंस-श्रीज्ञानप्रमोदगणि-सन्दृब्ध . आदिनाथ-पार्श्वनाथ-स्तोत्र म० विनयसागर अज्ञातकर्तृक श्री आदिनाथ-बाललीला सं. विजयशीलचन्द्रसूरि कविरूपचन्द्रकृत जिनानां पञ्चकल्याणकानि सं. विजयशीलचन्द्रसूरि भिक्षा-विचार : जैन तथा वैदिक दृष्टि से डॉ. अनीता बोथरा जैन और वैदिक परम्परा में वनस्पतिविचार डॉ. कौमुदी बलदोटा षड्भाषामय श्रीऋषभप्रभुस्तव के कर्ता __ श्री जिनप्रभसूरि हैं म० विनयसागर नवां प्रकाशनो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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