Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 07
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ [27] ते मार्टि जिम सम्यग्दृष्टी चारित्रथी वेगलो पणि पामिइ तिम मार्गानुसारी सम्यक्त्वथी वेगलो पणि होइ ते वातनी ना नहीं ॥ २० ॥ "मिथ्यात्वीनी क्रिया व्याधादिकना मनुष्यपणानिं सरिखी" एहवू लिख्यूं छइ ते महाद्वेष, वचन, जे मार्टि अपुनर्बंधकना दयादिक गुण उपदेशपदादिक ग्रंथमां वीतरागनी सामान्यदेशनाना विषय कहिया छइ ॥ २१ ॥ ___"जैननी क्रियाई अपुनर्बंधक होइ पणि अन्यदर्शननी क्रियाइं न होइ ज". एहवू जे कहइ छइ ते न मानवू, जे मार्टि समयग्दृष्टी स्वशास्त्रनी ज क्रियाई होइ अनि अपुनर्बध अनेक बौद्धादिक शास्त्रनी क्रियाइं अनेक प्रकारनो होइ एहवू योगबिंदु प्रमुख ग्रंथि कहिउं छइ ।। २२ ॥ "असद्ग्रहपरित्यागेनैव तत्त्वप्रतिपत्तिर्मार्गानुसारिता' एहवं वंदारुवृत्ति कहउं छइ ते मार्टि जैनशास्त्रना तत्त्व जाण्या विना मार्गानुसारी न होइ ज" एहवो एकांत पणि न घटइ, जे माटि ए तंत ग्रहतां मेघकुमार हस्तिजीवनिं पणि मार्गानुसारिपणु नावइ योग्यता लेहइ तो कोइ दोष नथी ॥ २३ ॥ "भगवती मां ज्ञानरहित क्रियावंत देशाराधक कहिओ छड् ते भांगानो स्वामी खारीनिं टीकामां बालतपस्वी वखाण्यो छइ, ते मार्गानुसारी ज मिथ्यात्वी होइ ए अर्थ उवेखीनिं ए भांगानो स्वामी द्रव्यक्रियावंत अभव्य जे कहइ छ। आपछंदइ ते न घटइ," जे मार्टि अभव्यादिकनि देशथीइ आराधकपणूं नथी व्यवहारिं आराधकपणूं तेहनि छइ" ते पणि न घटइ जे मार्टि ए मुग्धव्यवहार लेखामां नहीं लिंगव्यवहारनी परि क्रियाव्यवहार पणि अपुनर्बंधकादि परिणाम विना पंचाशकादिक ग्रंथई निरर्थक कहिओ छइ ॥ २४ ॥ “निह्नवइ क्रियाज्ञा नथी भागी अनि सम्यक्त्वाज्ञा भागी छइ ते मार्टि ते देशाराधक तथा देशविराधक कहिइ" एहवू लिख्यूं छइ ते सर्वविरुद्ध, जे मार्टि ते सर्वथा आज्ञाबाह्य ज कहिया छइ ॥ २५ ॥ "जेहनि ज्ञान छतइ पाम्या चारित्रनो अंग होइ अथवा चारित्रनी अप्राप्ति होइ ते देशविराधक एहवू भगवती वृत्तिं लिख्यूं छइ तेहमां चारित्रनी अप्राप्ति देश विराधक न घटद" एहवू लिख्यूं छइ ते प्रकट पूर्वाचार्यनी आशातनानूं वचन, जे माटिं परिभाषा लेतां कोई दोष नथी ॥ २६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130