Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 07
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 106
________________ [101] आ उदाहरण पण अर्धमागधीमां प्राचीन प्रयोगो जळवाया होवानुं अने मूळनी शब्दरूप अने अर्थने लगती परंपरा केटलीक बाबतमां लुप्त थई होवानुं सूचवे छे । (Gustav Roth : " 'A Saint Like That' and 'A Saviour' in Prakrit, Pali, Sanskrit and Tibetan Literature", श्री महावीर जैन विद्यालय सुवर्ण जयंती ग्रंथ, भाग १, १९६८, पृ. ३१-४६; Indian Studies 1986, पृ. ९१-१० उपर पुनः प्रकाशित) । २. प्राकृत 'उडुक्किय' __'दसकालिय' (अथवा 'दसवेयालिय') सूत्रनी अगस्त्यसिंह कृत चूर्णिमां लूषकहेतुना उदाहरणमां, काकडीभारेला गाडामांनी बधी काकडी पोते खाय तो गाडानो धणी तेने नगरद्धारमांथी नीसरी न शके एवडो लाडु आपे एवी शरत करीने एक धूर्त दरेक काकडी पर पोताना दांत बेसाडे छे अने ज्यारे न्यायाधिकारी धूर्तना पक्षमां चुकादो आपे छे, त्यारे गाडानो धणी बीजा एक धूर्तनी शीखवणीथी एक नानो लाडु नगरद्वारनी वच्चे मूकीने तेने ‘बहार नीकळ, नीकळ' एम कहेतां, ए न हलतो लाडु पहेला धूर्तने शरत प्रमाणे आपी दे छे - एवी कथा छ । तेमां 'सव्व-तउसाणि दंतेहिं उडुक्कियाणि' एवो प्रयोग छ । 'देशी शब्दकोश'मां 'दांतों से काट कर दागी करना' ए प्रमाणे अर्थ तो बराबर कर्यो छे, परंतु उडुक्कियने देश्य गण्यो छे अने तेनो संबंध कन्नड उडि 'काटना, टुकडे करना' साथे होवानुं कर्तुं छे। हकीकते मूळ पाठ सहेज भ्रष्ट छ । उड्डक्किय एवं शब्दरूप जोईए । प्रा. डक्क = सं. दष्ट । डक्क ए मुक्कनी जेम सादृश्यमूल्क रूप छे । उद् उपसर्ग साथे जोडाईने उड्डुक्क 'करडवू' । तेना परथी भूतकृदंत उड्डुक्किय । (संदर्भ : दसकालियसुत्त, संपा. मुनि पुण्यविजय. प्राकृत ग्रंथ परिषद, ग्रंथांक १७. १९७३. देशी शब्दकोश. संपा. मुनि दुल्लहराज, १९८८) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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