Book Title: Antargruha me Pravesh
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 51
________________ Jain सुधारें, उसके भाव सुधारें, उसकी राह सुधारें । संसार-चक्र में धर्म चक्र का प्रवर्तन करें । 'पूर्ण जन्म' के लिए पूर्ण पवित्रता चाहिये । चाहे कोई कितना भी क्यों न गिरा हो, वह जब भी अपने-आपको सुधारना और सम्हालना चाहे, घुप्प अंधकार के बावजूद रोशनी की पहल कर सकता है, भीतर के देवता को दीपदान कर सकता है, अर्ध्य चढ़ा सकता है। चेतना के शिखर पर साक्षी की बैठक ही जन्म-जन्मान्तर से मुक्त होने की विधि है, एक स्वच्छ-सम्यक् अभियान है । पूर्वजन्म : पूनर्जन्म/ ३६ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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