Book Title: Antargruha me Pravesh
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 89
________________ रोम-रोम रस पीजे : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर जीवन के हर कदम पर मार्ग दरशाते चिन्तन-सूत्रों का दस्तावेज । पृष्ठ ८८,मूल्य १० - ध्यान : क्यों और कैसे : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर हमारे सामाजिक जीवन में ध्यान की क्या जरूरत है, इस संबंध में स्वच्छ राह दिखाती पुस्तक। पृष्ठ ८६.मूल्य १०/धरती को बनाएं स्वर्ग : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर धर्म की आवश्यकता और नारी-जगत पर लगी बेतुकी पाबंदियों पर समाचारपत्रों को दिये गये विस्तृत साक्षात्कारों का प्रकाशन । पृष्ठ ५२, मूल्य ३/आत्मा की प्यास : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर गुरु-पूर्णिमा पर प्रकाश डालती पुस्तिका। पृष्ठ ३२,मूल्य २/मेडिटेशन एण्ड एनलाइटमेंट : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर ध्यान और समाधि के विभिन्न पहलुओं पर मनन और विश्लेषण; विदेशों में भी बेहद चर्चित । पृष्ठ १०८.मूल्य १५/ रजिस्ट्री चार्ज एक पुस्तक पर ८/- रुपये, न्यूनतम सौ रुपये का साहित्य मंगाने पर डाक-व्यय से मुक्त । धनराशि श्री जितयशाश्री फाउंडेशन ( SRI JIT-YASHA SHREE FOUNDATION ) कलकता के नाम पर बैंक ड्राफ्ट या मनिआर्डर द्वारा भेजें । वी.पी.पी.से साहित्य भेजना शक्य नहीं होगा। आज ही लिखें और अपना आर्डर निम्न पते पर भेजें । श्री जितयशा फाउंडेशन १) सी- एस्प्लानेड रो ईस्ट ( रूम नं. 28) धर्मतल्ला मार्केट , कलकता - 700069 दूरभाष : 220-8725 - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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