Book Title: Anekant 1948 03 Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Jugalkishor Mukhtar View full book textPage 9
________________ किरण ३] गांधीजीका पुण्य-स्तम्भ ९५ अशोक-कालीन ब्राह्मी लिपिका ही विकसित रूप है। पन्द्रह खम्भोंका आँखो देखा वर्णन लिखा है, जिनमें लगभग २२०० वर्षोंसे अशोकके स्तम्भ देशके से कई अब नष्ट होचुके हैं। अब तक अशोशके शैलविभिन्न भागोंमें खड़े हुए उसके यशको उजागर स्तम्भ निम्नलिखित स्थानोंमें मिल चुके हैं:बनाते रहे हैं। अशोकके साढ़े छ: सौ वर्ष बाद आने (१) टोपरा, जिला अम्बाला। (२) मेरठ । (३) वाले चीनी यात्री फाहियानने छः खम्भोंका उल्लेख इलाहाबाद । (४) कौशाम्बी। (५) लौरिया-अरराज । किया है, लेकिन सातवीं शताब्दीमें हर्षके समयमें (६) लौरिया-नन्दनगढ़ (सिंह-शीर्षक-युक्त) । (७) आने वाले चीनी धर्म-यात्री यवान च्वाङ्गने अशोकके रामपुरवा। (८) साँची । (९) सारनाथ । (१०) संकिसा । (११) रुम्मिनि देई (बुद्धका जन्मस्थान)। (१२) निगलीव। हो सकता है इनमेंसे कुछ खम्भे अशोक से पहलेके भी रहे हों, क्योंकि अपने लेखमें उसने एक जगह ऐसा सङ्केत किया है'जहाँ शिलायन्त्र या फलक हों वहाँ यह धर्मलिपि लिखवा दी जाय, जिससे यह चिरस्थायी हो।" भौगोलिक बँटवारेकी दृष्टिसे भी अशोकके लेख विचारणीय हैं। उनमेंसे कुछ तो बुद्धके पवित्रस्थानोंको सूचित करते हैं, जैसे . रुम्मिनिदेईका स्थान, और कुछ उस समयकी बड़ी राजधानियोंको जैसे साँची, सारनाथ और कौशाम्बी आदि । उसके फैले हुए लेखोंसे उसके राज्य और विस्तारकी सीमा मिलती है। संभव है ये सभी दृष्टिकोण सम्राट्के मनमें रहे हों। अशोक-स्तम्भोंकी कला कलाकी दृष्टिसे अशोकके प्रयाग-स्थित अशोक-स्तम्भ खम्भे भारतीय कलाका एक www.jainelibrary.orgPage Navigation
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