Book Title: Anekant 1948 03
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jugalkishor Mukhtar

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ किरण ३] गाँधीजीका पुण्य-स्तम्भ कर्तव्य है। जिस प्रकार प्रियदर्शी अशोकने जनताकी करने योग्य है। आज प्रचारके अन्य अनेक साधन भाषामें जनताके बोधके लिए अपने विचारोंको लेखों- सुलभ होगये है फिर भी शिल्पकलाके द्वारा महाके द्वारा चिरस्थायी बनाया और यह प्रयत्न किया कि पुरुषोंकी वाणीको अङ्कित करनेका प्रयत्न अवश्य छोटे-बड़े सब तक वे विचार पहुँचाए जा सकें उसी ही आगे आने वाले युगोंके लिए अभिनन्दनीय प्रकारका प्रयत्न अपने अर्वाचीन राष्ट्र-पिताके लिए भी! रहेगा। महरौलीका लोह स्तम्भ

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40