Book Title: Alankar Raghavam Part 02
Author(s): Yajneshwar Dikshit, T V Sathynarayana
Publisher: Oriental Research Institute
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अ
अजस्रमबलान्विताः
अतिप्रेम्णा त्या
अत्यादरेण विशतः अथवा शिरस्स्थेन
अलङ्कारराघवस्य — द्वितीयभागस्य उदाहरणंपद्यानामकारादिमूची
अददादनिलात्मजाय
अनन्तमणिविख्यातं
अनन्तमेकं परम्
अनुत्पन्नः पुमानेषः
अपि मनुजमहाभयप्रदो
अमुष्य समरे पश्य
अयज्ञः स्वर्लोकः
अयं मार्ताण्डः किं
अलङ्करोति कोटीरं
अलङ्कारमयं प्रकरणम् अलंकृतेष्वप्युचितैः
अलौकिकत्वच्चरिता
अस्तु किरीटं भुवने अस्त्वस्मदीयकुल
पुटसंख्या
182
106
93
223
आ
आकाशगङ्गालहरी आकृष्टे श्रितजनभावना
आगाहमाने महदुत्तमाङ्ग
आज्ञामयीं स्रजम्
आपादयन् दिग्वलये
216
184 आभाषिताभयवचो
118
218
179
86
153
78
171
249
126
105
इह अनुरागाभरणानि
40
इह पश्य राम
164 इहसु अणुआआ
आरूढः कनकासनं
आलम्बदण्डः तव
आलोकयध्वं दशकण्ठ
आस्था नदीपाः किमिमे आस्थानतस्सञ्चलतो
इ
इक्ष्वाकुमूर्ध्नि यत् इन्द्रनीलदळत्रद्ध
पुटसंख्या
80
108
94
67
141
192
137
67
133
3909
79
94
209
171
248
231
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