Book Title: Aghatkumar Charitram Pramade Nirdravyaviprakatha Punyaprabhave Siddhadutta Katha Author(s): Manchand Velchand Publisher: Manchand Velchand View full book textPage 3
________________ ॐ नमोर्हन्यः। // अघटकुमारचरित्रम् // ॥श्रीसुमतिसुन्दरसूरिगुरुभ्यो नमः // प्राणिनामसहायानाम पि पुण्यवतामिह / अघटस्येव जायन्ते विपदोऽपि हि सम्पदः // 1 // अत्रास्ति भरतेऽवन्तिर्देशो देशशिरोमणिः / श्रीविशाला विशाला च तत्रास्ते भूविभूषणम् // 2 // राजा सुघटितस्तस्यामासीहासीकृतद्विषन् / तस्यास्ति रूपलावण्यसुन्दरी सुन्दरीव या // 3 // यामालोक्य विक्षुभ्यन्ति मुनयोऽपि दृढव्रताः / तस्या विक्रमसिंहोऽभूत् पुत्रो जैत्रपराक्रमः // 4 // पुरोधा ज्ञानगर्भोऽस्ति निमित्तज्ञोऽन्यदा नरः। कश्चिदागत्य तं प्रोचे सभायां कर्णसन्निधौ // 5 // तदाकर्णनतो मौलिकम्पपूर्व पुरोधसि / सविस्मये तस्य दत्तोत्तरेऽथ स नृपोऽवदत् // 6 // विस्मयस्य निमित्तं मे निमित्तज्ञ! निवेदय / सोऽवदद्देव ! मा प्राक्षीरुक्तं दुःखाय जायते // 7 // 1 'प्रच्छ्' धातोरद्यतन्याम् /Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 40