Book Title: Aghatkumar Charitram Pramade Nirdravyaviprakatha Punyaprabhave Siddhadutta Katha
Author(s): Manchand Velchand
Publisher: Manchand Velchand
View full book text ________________ चरित्रम् अघटकु. // 10 // निःस्पृहं निरहङ्कारं मुक्तेनिःश्रेणिकामिव / कायोत्सर्गस्थितं तत्र विलोक्याम्रतले मुनिम् // 238 // खरूपयौवनोन्मत्तो भूपभून्यूनधीस्तदा / कृताङ्गरागसौरभ्यवासितोपवनाऽवनिः // 239 // प्रखेदमलदोर्गन्ध्यभरेण व्यथितो मुनेः / जुगुप्सते स्म तं दुष्टः कुलाबैरवहेलयन् // 240 // त्रिभिर्विशेषकर अथैको भद्रकस्तस्य वयस्यस्तमभाषत / प्रणुन्न इव पुण्येन कुमारस्य भविष्यता // 241 // | माऽवज्ञासीः कुमारैनं पुण्यप्राप्यपदद्वयम् / अयं हि परमं तीर्थं पावनेभ्योऽपि पावनम् // 242 // ये तु नित्यं नमस्सन्ति वरिवस्यन्ति चाऽऽदृताः / महात्मानममुं तेषां हस्ते सर्वार्थसिद्धयः // 243 // तदेतस्य प्रणामेन निजं जन्म कृतार्थय / जन्तूनां स्याद्यतोऽमुष्य दर्शनेऽपि मलक्षयः // 244 // 6 गिरस्तस्येति श्रुत्वाऽयं मधु-दुग्ध-सुधाऽधिकाः।स्तुवन् मित्रं च खं निन्द्यं मन्वानो मुनिमानमत्॥२४५॥ विज्ञायाऽवधिना तस्य मुनिरप्युपकार्यताम् / कायोत्सर्ग पारयित्वा कृपाधर्ममुपादिशत् // 246 // | कृपा धर्मतरोर्मूलं कूलं संसारवारिधेः / हिंसा पल्लीव दोषाणां भल्लीव क्रोधवैरिणः // 247 // 8 कुष्ठिनः कुणयो व्यङ्गाः पङ्गवः प्रचुराऽऽपदः / जीवहिंसाप्रभावेण भवन्ति भविनो भुवि // 248 // है। सर्वे वेदा न तत्कुयुः सर्वे यज्ञा यथोदिताः / सर्वे तीर्थाभिषेकाश्च यत्कुर्यात् प्राणिनां दया // 249 // 1 पूजयन्ति / 2 तटम् / 3 प्राणिनः / // 10 //
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