Book Title: Agam Sutra Satik 34 Nishith ChhedSutra 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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निशीथ-छेदसूत्रम् -३-२०/१३८१ दिवसो गहिओ, सेसेहिं सट्ठीए मासेहिं तिन्नितिन्नि राइंदिया गहियाकः प्रत्ययः? एक्सट्टिमासेहि एक्को ठवणामासो फेडितो सेसा सढ़ि, ते तिहिं गुणिता जातं असीयं दिवससतं, एक्को झोसो सुद्धो, सेसं एगूनासीतं सतं, एक्को ठवणा दिवसो पक्खित्तो जायं असीयं सतं ।। [भा.६४६२] एवं खलु गमिताणं, गाहाणं होंति सोलससहस्सा ।
सतमेकं च दसहियं, नेयव्यं आनुपुव्वीए॥ धू-एवं एक्वियं ठवणं अमुयंतेण आरोवणाए उवरुवरि ठाणे एक्कमारोवयंतेण ताव नेयव्वं जाव चरिमा अउनासीयसयारोवणा । एवं दुतिगादिठवणासु वि एगादि आरोवणा नेयव्वा ता जाव जस्स चरिमं ति । एयाओ सव्वाओ पुवकयविहिणा कायव्वा जाव एक्केकपाहा (ही) डगनिबद्धरासिगगाहाण सलस सहस्सा सतंचदसुत्तरंपुण्णं ति । एयासुठवणारोवणासुमासकरणं करेंतेण एगादियासुजाव छउरो पंचसु भागं अदेंते मासो चेव घेत्तव्यो। एवं पन्नरसगादिसु दुरूवे असुझंतेदसादिसुय दुरूवे असुद्धे आगासेजाते एक्कोचेवमासोघेत्तव्बो, जावचउदस, पन्नरसोवरि विकला जाव उनवीसाए वि एक्कातो मासातो निष्फण्ण त्ति दट्ठव्वा । एवं एक्कवीसादिसु केवलपणभागविसुद्धदुरूवहीणकयमासप्पमाणेहितो निप्फण्णा दट्ठव्वा । एवं सव्वत्थ सकलकरणं करेंतेण कायव्वं । अह भिन्नियंठवणारोवणकरणंइच्छति तो इमं कायव्वं-एक्कियठवणाए एगादिआसेवणातो जाव पन्नरस ताव सगलकरणंचेव कायव्वं,जत्थ एक्किया ठवणा सोलसिया आरोवणा एता दोवि असीतसतातो सुद्धा, सेसं तेसट्ठिसतं, एयस्स सोलसहिं भागो भागं सुद्धं न देति ति तेरसपक्खित्ता भागल एक्कारस, ते ठविता, सगलच्छेदसहिया इमे ।
सोलसियारोवणाए पंचहि भागो भागलद्धं तिन्नि, ते दुरूवहीणा कता सेसो एक्को मासो मासस्स य एक्को पंचभागो। एस वन्निओ मासो पंचगुणो अंसो पक्खित्तो जाया छ पंच भागा, एक्कियठवणाए विहेट्ठा पंचभागो छेदो दिन्नो । इदानिं आरोवणा भागलद्धं तंआरोवणामासगुणं कायव्वं, ति काउंअंसो अंसगुणो छेदो छेदगुणोछहिं एक्कारसगुणिता पंचहिएको गणितो जाया छावट्टि पंच भागा ठवणारोवणमाससहिय ति कायच्या, एत्थ एक्को ठवणा पंच वागो, छच्च आरोवणपंचभागा पक्खित्ता, जाया संचयमासाण तेहुत्तरिपंच भागा । कत्तो किंगहियं ति ?, एक्को ठवणभागो फेडितो सेसं आरोवणभागपरावत्तीए अंसा अंसगुणा, छेदो छेदगुणो भागे हिए जं लद्धं तं दोसु ठाणेसु ठवियं तत्थेगो रासी पन्नरसगुणो, बितितो आरोवणाए जति विगला दिवसा असीतेहिं गुणितो पक्खित्तो य ठवणादिवसजुत्तोझोसपरिसुद्धो असीयं सतं भवति, एवं सत्तरस अट्ठारस अउनवीसियासु वि कायव्व, नवरं-बितियरासी दोहिं तीहिं चउहिं गुणेयव्यो, वीसियाए सगलकरणं कायव्वं, इगवीसियाए विसव्वंएयंचेव कायव्यं, नवरं-ठवणभागफेडिएसु जं सेसं तं आरोवणभागं परावत्तिय गुणियं भागहियलद्धे तिसु ठाणेसु ठायव्वं, तत्थेक्को रासी पन्नरसगुणो, बितिओ विगलदिवसगुणो, ततिओ पंचगुणो, सव्वे एक्कट्ठा मेलिता ठवणदिनजुत्ता सोसविसुद्धा असीतं सतं भवति। __ एवं बावीसियासु वि कायव्वं, एगतीसादिसु वि एवं, नवरं-जइ वि विकलमासो लब्मति तति ठाणत्थं ठवयध्वं, आरोवणभागहियलद्धं जत्थ दो रासी ठाविता तत्थ एगो पनरसगुणो, बितितो नियमाविगलदिवसगुणो, किं च संचयमासभागेहिंतो संचयठवणभागफेडियव्वा
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