Book Title: Agam Sutra Satik 34 Nishith ChhedSutra 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 1354
________________ उद्देशक : २०, मूलं-१४२०, [भा.६७०३] रयितो परिभासाए, साहूणय अनुग्गहट्ठाए । ॥२॥ तिचउ पण अट्ठमदग्गे, तिपनग ति तिगअखरा व ते तेसिं। पढमततिएहि तिदुसरजुएहि णामं कयं जस्स ॥ ॥३॥ गुरुदिन्नं च गणित्तं, महत्तरत्तं च तस्स तुटेहिं । तेन कएसा चुण्णी, विसेसनामा निसीहस्स॥ (नमो सुयदेवयाए भगवतीए) उद्देशकः-२० समाप्तः मुनि दीपरलसागरेण संशोधिता सम्पादिता निशीथसूत्रे विंशतितमुद्देशके [भद्रबाहुस्वामि रचिता नियुक्ति युक्तं] संघदासगणि विरचितं भाष्य एवं जिनदास महत्तर विरचिता पूर्णिः समाप्त । | ३४/३ प्रथमंछेदसूत्रं निशीथं समाप्तम् | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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