Book Title: Agam Sutra Satik 34 Nishith ChhedSutra 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 1358
________________ 31 ४०. क्रम । आगमसूत्रनाम • मूल वृत्ति-कर्ता • वृत्ति श्लोक प्रमाण श्लोकप्रमाण ३२. | देवेन्द्रस्तव ३७५ | आनन्दसागरसूरि (संस्कृत छाया) | ३७५ ३३. | मरणसमाधि * ८३७ आनन्दसागरसूरि (संस्कृत छाया) ८३७ 1३४. | निशीथ ८२१ जिनदासगणि (चूणि) २८००० सङ्घदासगणि (भाष्य) ७५०० ३५. | बृहत्कल्प ४७३ मलयगिरि+क्षेमकीर्ति | ४२६०० सङ्घदासगणि (भाष्य) ७६०० ३६. व्यवहार ३७३ मलयगिरि ३४००० सङ्घदासगणि (भाष्य) ६४०० ३७. दशाश्रुतस्कन्ध ८९६/- ? - (चूर्णि) २२२५ ३८. जीतकल्प * | १३० सिद्धसेनगणि (चूर्णि) १००० ३९. | महानिशीथ ४५४८ | आवश्यक १३० हरिभद्रसूरि २२००० ४१. ओघनियुक्ति नि.१३५५ द्रोणाचार्य (?)७५०० पिण्डनियुक्ति * नि. ८३५ मलयगिरिसूरि ७००० ४२. | दशवैकालिक ८३५ हरिभद्रसूरि ४३. | उत्तराध्ययन २००० शांतिसूरि १६००० ४४. नन्दी ७०० मलयगिरिसूरि ७७३२ | ४५. | अनुयोगद्वार २००० मलधारीहेमचन्द्रसूरि ५९०० नोक:(१) 6:४५ मारम सूत्रोमा वर्तमान अणे पडेल १ थी ११ अंगसूत्रो, १२ थी २३ उपांगसूत्रो, २४थी33 प्रकीर्णकसूत्रो उ४थी उ८ छेदसूत्रो, ४० थी ४३ मूळसूत्रो, ४४.४५ चूलिकासूत्रोन्। नामेडा प्रसिद्ध छे. (૨) ઉક્ત શ્લોક સંખ્યા અમે ઉપલબ્ધ માહિતી અને પૃષ્ઠ સંખ્યા આધારે નોંધેલ છે. જો કે તે સંખ્યા માટે મતાંતર તો જોવા મળે જ છે. જેમકે આચાર સૂત્રમાં ૨૫૦૦, ૨૫૫૪, ૨૫૨૫ એવા ત્રણ શ્લોક પ્રમાણ જાણવા મળેલ છે. આવો મત-ભેદ અન્ય સૂત્રોમાં પણ છે. (3) 631 वृत्ति- नोंछे ते अभे ४३८. संपाइन भुवनी छे. ते सिवायनी AL वृत्ति-चूर्णि साहित्य मुद्रित समुद्रित अवस्थामा हाल 6464छे ४. (४) गच्छाचार भने मरणसमाधि नविse चंदावेज्झय सने वीरस्तव प्रकीर्णक वे छ. सभे "आगमसत्ताणि' मा भूण ३३ अने, 'भागमहाप"भा भक्षरशः ગુજરાતી અનુવાદ રૂપે આપેલ છે. તેમજ બીતવાન્ડ જેના વિકલ્પ રૂપે છે એ ७००० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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