Book Title: Agam Sutra Satik 34 Nishith ChhedSutra 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 1343
________________ ४४४ निशीथ-छेदसूत्रम् -३-२०/१४२० भाणियव्या । नवरं -तेसिं अंता चउलहुं मासगुरु य । एत्थ विनिरवेक्ने अणवट्ठासंभवतो सुण्णं -इदानि मूलं[भा.६६५५] सव्वेसिं अविसिट्ठा, आवत्ती तेन पढमता मूलं । सावेक्खे गुरुमूलं, कतमकते छेदमादी तु ।। धू-सव्वेसिं निरवेक्खादीणं मूलं आवन्ना, तत्थ जे निरवेक्खा ते जं चेव आवत्रा तं चैव दिजइ, जेण कारणेणं ते निरमुग्गहा । सावेक्खाणं पुण दाणे इमो विही नायव्वो- सावेखस्स आयरियस्स कयकरणस्समूलं, अकयकरणस्स छेदो। उवज्झायस्सकयकरणस्सछेदो, अकयकरणे छगुरु । भिक्खुस्स अभिगयस्स थिरस्स कयकरणस्स छग्गुरुता, अकयकरणस्स छल्लहुया । अथिरस्स कयकरणस्सछल्हुआ, तस्सेवाकयकरणस्स चउगुरुगा।अनभिगयस्स थिरस्स कयकरणस्स चउगुरुगा, अकयकरणस्स चउलहुआ।अथिरस्स कयकरणस्स चउलहुआ, तस्सेव अकयकरणस्स मासगुरु । मूलमावन्नो एवं मसगुरू ठाति । छेदावन्ने छेदाओ आढत्तं एतेसु चेव पुरिसठाणेसु अष्टोवकंतीए मासलहुए ठाति ।छग्गुरुगातो गुरुए भिन्नमासे ठाति । चउलहुआतोछल्लहुए मासे ठाति । चउगुरुआओ गुरुए वीसराइंदिए ठाति । चउलहुआतो वींसराईदिए लहुए ठाति । मासगुरुआओ पन्नरसराइंदिए गुरुए ठाति । मासलहुआओपन्नरसराइंदिए लहुए ठाति। भिन्नमासगुरुआतो दसराइंदिए गुरुए ठाति । भिण्णमासलहुआतो दसराइंदिए लहुए ठाति वीसरायगुरुआतो पंचराइदिए गुरुए ठाइ । वीसरायलहुआतो पंचरायलहुए ठाति । पन्नरसरायगुरुआतोदसमे ठाति।पन्नरसरायलहुआतोअट्टमे ठाति । दसराइंदिएगुरुआतो छढे ठाति। दसराइंदियलहआतो चउत्थे ठाति पंचराइंदियातो आयंबिले ठाति । एवं पंचराइंदियलहआतो एक्कासणते ठाति । दसमातो पुरिमड्ढे ठाति । अट्ठमाती निव्वातिते ठाति । एवं अड्डोकंतीए सव्वं नेयव्वं । एत्थ एक्के आयरिया - चरिमाढत्तं अड्डोक्कंतीए लहुपणए ठाति दसमादिपदे न ठायंति। अन्ने चरिमाढत्तं अटोवकंतीए पनगोवरिदसम छट्ठ-चउत्थाजाव एगभत्तपुरिमड जाव निवितिए ठायंति ।। आदेशान्तरप्रदर्शनार्थमिदमाह[भा.६६५६] पढमस्स होति मूलं, बितिए मूलं च छेद छग्गुरुगा। जयणाए होति सुद्धा, अजयण गुरुगा तिविहभेदो।। धू- पढमो त्ति - जिनकप्पिओ, तस्स अववादाभावा मूलं एवं । “बितितो"त्ति - सावेक्खो कयकरणो आयरिओ, तस्स मूलावत्तीए मूलं चेव । “वा" विकल्पे । छेदो वा भुवति । [भा.६६५७] सावेक्खो ति व काउं, गुरुस्स कडजोगिणो भवे छेदो । अकयकरणम्मि छग्गुरु, अड्डोक्तीए नेयव्वं ।। खू-एस आयरियउवज्झाएसुअववादो।जोय भिक्खूगीतोथिरोकयकरणोय, अगीयपक्खे थिरो कयकरणो य, एतेसि पि एसो चेव अववादो । जे सेसा भिक्खुपक्खे तेसिं इमो अववातो[भा.६६५८] अकयकरणा य गीया, जे य अगीयाऽकता य अथिरा य । तेसावत्ति अनंतर, बहुअंतरिया व झोसो वा ॥ चू-जे भिक्खू गीयपक्खे दोन्नि अकयकरणा, चसद्दातो गीतो अथिरो कयकरणो य । जे अगीयपक्खे अयकरणा दोन्नि, जो य अगीयो थिरो कयकरणो य एतेसिं आवत्तीतोजं अन्नतरं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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