Book Title: Agam Sutra Satik 34 Nishith ChhedSutra 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 1291
________________ ३९२ निशीथ-छेदसूत्रम् -३-२०/१३८१ एगादी जा चोद्दस, एगाओ सेस दुगहीणा।। चू- सव्वासिं ठवणारोवणाणं दिवसेहिंतो मासुप्पादणे तो नियमा पंचहिं भागो हायब्यो, भागे हिते जं लद्धं तं नियमा दुरूवहीणं कायब्वं, जत्थ दुरूवहीणं न होज्जा जहा एगादियासु ठवणासुजत्थ वा दुस्वहीणं कते आगासंभवति जहा दसराइंदियासुतासु “साभाविय'त्ति-न तेसिं काति विकृती कजति, तत्तिया चेव ते तेहिं संचयमासा ठवणामासा परिसुद्धा गुणेयव्व त्ति, अहवा-“साभाविय"त्ति-ते एगादिसभावभेदभिन्ना व सव्वे एक्कातो मासातो निष्फण्णा इति, एवं जाव चोद्दसिता आरोवणा, ततो परंसेसासुपन्नरसियासु दुगहीणकरणं लब्भति ।। विकलेसु सकलकरणत्थं भण्णति[भा.६४९०] उवरिं तु पंच भइते, जे सेसा के इ तत्थ दिवसा उ । ते सव्वे एगाओ, मासाओ होति नायव्वा ।। धू-पन्नरसियाए उवरि सोलसमादियासु ठवणासु पंचहि भागे हिते उवरिं भागलद्धे सेसा एक्कगमादी दीसंति, ते लद्धाण पूरणमेव नायब्वा, नतेसिं किंचि सकलकरणे पुढो करणं कज्जति, सो चेव एक्को मासो इत्यर्थः॥ कहं पुण ठवणारोवणमासेहिं सव्वं संचयमासेहिं वा दिवसग्गहणं कजति ? एत्थ इमं भण्णति[भा.६४९१] होति समे समगहणं, तह वि य पडिसेवणा व नाऊणं। हीनं वा अहियं वा, सव्वस्थ समं च गेण्हेज्जा॥ चू- होति सामण्णे ठवणारोवणाण दिवसमाणे समे तेसुं समं दिवसग्गहणं भवति, सेसेसु मासेसु समं विसभं वा । कहं ? उच्यते - जहा सत्तिया ठवणा सत्तिया चेव आरोवणा, एत्थ पुवकरणेण छब्बीसं संचयमासा लब्मंति, एत्त ठवणारोवणमासेसु सत्तसत्तदिणा गहिया, जे पुण आरोवणाहिं लद्धा मासा चउवीसं तेसु एक्कातो मासाओ पंच दिना गहिता तम्हा दो तत्थ झोसा पडिता, सेसाजे तेवीसं तेसुसत्तचेव दिना गहिता । एवं समासु ठवणारोवणासु समग्गहणं दिलु, अन्नासुकत्थति जइ विसमंठवणारोवणदिवसमाण “तह विय"त्ति-नपुव्वकरणंकर्तव्यं। “पडिसेवणा" -पडिसेवणमासा भण्णंति,यजेठवणारोवणाए भागे हितेलब्मंतितेपडिसेवणमासा ते नाउंजहा छम्मासा पूरति तहा ठवणारोवणासु हीणमतिरित्तं वा दिवसग्गहणं कायव्वं । कत्थ ति ठवणादिहीणं आरोवणाए अहियं ।अन्नतथ आरोवणाए हीनंठवणाए अहियं ।जहा वीसियासु ठवणारोवणासु वीसियाठवणाए दस दस दिवसा गहिता, दोसु आरोवणामासेसु दुहाविभत्तेसु एकातो आरोवणामासातोपन्नरस गहिता बितियातोपंच एवं अन्नासु वि भावेयव्वं । “सव्वत्थ समंच गेण्हिज्ज'' त्ति-जे आरोवणाहिं हियभागलद्धा मासा जे य ठवणारोवणामासा सव्वेहितो गहणजहा पक्खियठवणाएपक्खियाए आरोवणाए, एवंपवितासु ठवणारोवणासु, तहा एक्कियासु ठवणारोवणासु, दुगादिसु य ॥ [भा.६४९२] विसमा आरोवणाए, गहणं विसमं तु होइ नायव्वं । सरिसे वि सेवितम्मि, जह झोसो तह खलु विसुज्झे॥ चू- जाओ ठवणातो दिवसमानेन परोप्परतो विसमातो तासु जे संचयमासा लद्धा तेसु पडिसेवंतेणजति विसरिसावराहसेवणंकतंतहवि दिवसग्गहणं करेंतेहि विसमंचेव दिवसग्गहणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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