Book Title: Agam 33 Prakirnak 10 Viratthao Sutra
Author(s): Punyavijay, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 24
________________ भूमिका (२३) हरि-हाथ में शंख, चक्र एवं धनुष चिह्न धारण किए हुए होने से उन्हें विष्णु कहा जाता है । (गाथा ३९) । (२४१ महादेव - प्राणियों के बाह्य एवं आभ्यंतर कमरज के हरण करने वाले होने से, खट्वाङ्ग एवं नीलकण्ठ युक्त नहीं होने पर भी भाप महादेव कहे जाते हैं । (गाथा ४०) (२५) ब्रह्मा -कमलासन, दानादि चार धर्म रूपी मुख होने से एवं हेस अवस्था में गमन होने से आप ब्रह्मा कहे गये हैं। (गाथा ४१) (२६) त्रिकालविश---जीवादि नव तत्त्व जानने वाले एवं श्रेष्ठ केवलज्ञान के धारक होने से आपको त्रिकालविज्ञ कहा जाता है। (गाथा ४२

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