Book Title: Agam 33 Prakirnak 10 Viratthao Sutra
Author(s): Punyavijay, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 51
________________ वीरस्तव प्रकीर्णक की गाथानुक्रमणिका क्रमांक गाया T रहमती, अंत रहूगड़ह सेससंगह गाइयेरिनिविकत रागो = रई, सुमेपर य वेद-धुगण नर्मसण सं सचराचरजंतुदुयत्त ९ १४ २३ गाया सिद्धिबहुसंगकीला सिरिषद्धमाण हरिहर सिरिसिद्धत्थनरेसर सोमास हरिहर ह हरसि एवं जंतूणं १७ हरि सि तुमं कमलालय ! ७ क्रमांक १३ Y ३८ २४ ४० ३९

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