Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 333
________________ णीललेसणे इय ६२६ गीललेस (नील ) प १७८३,६२,६४,६५, णेग (नंक) प २८१४०,४३,६६ ज ३१३,३२ १००,१०३.१०८,१:८; १९७० णेगम (नगम) प १६।४६ णीलले ठाण (नील लेश्यास्थान) प १७१४६ दव (नेतव्य) सू६१८।१६।३१०।२३,२५; णीललेत (नीललेश्या) १७।१२१.१२४; १५१६, १८:११९४१,३५,२०१८ २८११२३ णेतु (नेतृ) सू १०॥६३ णीललेस्स (नीम इत्या ) प ३९६,१३११४:१७।३१, णेत्त (नेत्र) प १५१७७,८२ .1328,६५६४,६ ६८,७१ से ७४, तविण्णाणावरण (नेत्रविज्ञानावरण) १२३११३ 3६८१ मे ८५,८७,१००,१०३,१०६ से १११, णेत्तावरण (नेत्रावरण) प २३११३ णद्दर (दे० नेहर) प १८९ णीललेस्सठाण (नीललेश्यास्थान) प१७११४६ णेम (नेम) ज १।११ णीललेस्सा (नील नेत्या) T१६६४६; १७.३६, णेमि (नेमि) ज ३।३०,६५,१५६,१७८ ११५ से १-१२४,१२६,१३१,१३६,१४४, णेमिपास (नेमिपाव) ज ३१२२ १४५,१४८ से १५२ जेम्म (नेम) ४१२६ णीदले जाकर जान नीलामापरिणाम) १३१६ णेय (जेय) प २११५३ ज ३७७,१०६,१२६, होती . ४९८,१०३, ७१२७११,१६७१ च ५२ १२ १०८:१०,१८० १.१ से १४३,१६२,१६५, यतिया (नवतिकी) १७१२५ १६७,१७३ से १७६,७८,१८० से १८२, णयब्द (नेता) ४।५५,५११६१८।३१११८१; १८४,१८५,१८७,१८८,१६०,१६१,१६३, १५.१०२,१०८,१४३,१७।८८,२११५२; १९४,१६६,१६७,१६३,२००,२२५२१,२२७, २२१७६; ३६।२२,२६,३२,४६ ज १११२ से २६२ से २६५ १४,२५,४६:२।४,६,४६,५६,६४,१३६,१५६; णोलसुत्तय (नीलसूत्रक) प १७११६ ३॥६४,१५०,१५१,२१७,४११०,४७,५३,५६, णोली (नीली) ३।२४ ६०,६४,७६,८४,६०,६२,६६,१०६,१४१, पीलुप्पल (नीलोत्पल), १७१२४ १४७,१६०,१६३ से १६५,१७३,१७४,१६७, णीसंद (निप्यन्द) : ११३ चं १११ २०७,२१०,२३८,२४३,२६२.२६८,२७४, णीसल्ल (नि:शप) ५८ २७७, ५१५३ : ६१५७१३५,५०,५८१३०, पीसस (निर: वीरागंलिप १७॥२,२५, १३१ १३५.१५५,१७६ सू ७१,६।२,१०१२२ यु (गत) सू १६ णीसास (नि: ::२११६ गरइअत्त (नैरकत्व) प १५।१४ मोहम्ममाणा ( निज ६६३१ त्य (नरक) प २।२०,२१, ३११६,२२,४।३; गीहारिन (मिला). १२ १०३२ से ३८,४० से ४२,४४ से ५२; णीह (स्निह) प? ११॥४४,८०,११२,११ से १३,१५,३६; णणं (जन) 2212:१:४९५ से १०४, १३११४,१६ रो १६; १४१२,३,५,७,६,११ से ११५.१२.१: ० ४८,१४६,१५१,१५.४; १५,१८,१५११७,१८,३५,४६,४८,५६,६२, ३६१८१ ६३,६५,६६,७१,७५,७८,८२,८३,६१,६४ से उर (दे०) १४६१ ६,१००,१०२,१०७.१०८,११८ से १२०० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505