Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 387
________________ पास- पिंगायण प २।६४।१३; १५/४६ से ४६, ३३२ से १३, १५ से १५; ३४ । ६ से ६,११,१२ ज ३।१०५, ११३ ११३६ पासति १५/३७, ४१, ४४, ४५, १७ १०६ से १११,२३।१४;३०/२५ से २८ ३६३८०, ८१ पास ज ३।१२४ वासिज्जा उ १११५ पासिहित ज २।१४६ पासिहिसि उ ११२२ पासेइ उ १।५७ पासेज्जा उ ११२१ पास (पास) १८६ पास (पा) ज २०१५; ३१३२, ४। १४२,२०२,२१२ ५।१७,४३,४६,६०,६६, ७ ३१,३३ सू ४/३,४; २०१२ उ ३।१२,१४,२१,२८,२६,४६,५१,७६; ४१०, ११,१३,१५,१६,२०,२८ पाश (पाश) ज ३|१०६ पडबहुल (पाण्डवल ) ज १११८ पासंदधम्म (पापण्डधमं ) ज २२१२६ पासंग (पाशक ) ज ७११७८ पासग्गाह (पाशग्राह) ज ३।१७८ पाणया (दर्शन, पश्यत्ता) प ११७,३०१, ५, ८, १० पासत्यविहारि (मास्थविहारिन् ) उ ३११२० पासमण (पश्यत् ) ज २२७१ पासवण (प्रस्रवण ) १८४ पासाईय ( प्रासादीय, प्रासादिक ) प २२३१,४८,५६, ६३ ११२३,४१, २०१५, ४१३, ६, १३, २५, २६, ३३,४६, १४६६ ५६२उ ५१६ पासाण ( पाषाण ) ज ३११०६,४३,२५,७११३८ पासाद (प्रसाद) २२६५ पासादच्छाया (प्रासादच्छाया ) सू ३४ पासादसंठित ( प्रासादसंस्थित) सू ४२ पासादीय (प्रासादीय, प्रासादिक ) प २०३०,४१,४६, ६४ ज ११८, ३१२।१२.१४,४।२७ १११ उ ५१४,५ पासा ( प्रासाद) ज ११४२, ४३ २२०, ६५, ३।३२, ८२,१८७,२१८,२१६, ४३, ४९, ५०, ५३, ५६, १०६,११२,११६,११६, १२०, १४७, १५५, १५६, २२१ से २२४,२२६,२३५,२३७,२३८, २४०, Jain Education International ६८३ २४३,५११६, २५ उ ११४६, ६४; २६; ५१३, २०,२७,३१ पासायवडेंसय ( प्रासादावतंसक ) ज ४११०२,११६, २२१,२२२,२२३११,२२४।१ पासि (पाव) ज १२३,२५,२८,३२,३१७६; ४११,४३,६२,७२,७८,८६,६५,६६, १०३,१७८, १८३,२००,२०१,५१४६,६०,६६ पासि (द्रष्टुम् ) प ११४८५७ पासिकाम ( द्रष्टुकाम ) प २३|१४ पासित्ता ( दृष्ट्वा ) १२३।१४ ज २६० उ १।१६; ३।१०१, ४११३:५।१३ पासित्ताणं ( दृष्ट्वा ) उ १४३३२२८ पासियस्व ( द्रष्टव्य ) प २३|१४ पासेत्ता ( दृष्ट्वा ) उ ११५७ पाहाण ( पाषाण' ) ज ५ १६ पाहुड (प्राभृत) ज ३२८१ चं ३२, ३, ५१४ सू १७; ६२४,२५,१०११७३ पाहुडस्थ ( प्राभृतस्थ ) सू २०१६ पाहुडपाहुड (प्राभृतप्राभूत) चं ५।४ सु ११६ पाहुणिय ( प्राधुनिक) ज ७ १८६१ सू २०१८ पाय ( प्राभृत) १५० पि (अपि) उ३।३० पिs (स्तु) उ ११६१; ५।४३ fusदेवया (देवता) सू १०१८३ पिड ( पितृ) ज ७ १३०, १८६४ उ ११५२,५४, ७६,७९,३१५१,५६ fusसेकण्ड (कृष्ण) उ ११७ पिंगल ( पिङ्गल) ज ३१६, १६७४,२२२ पिंगलक्ख (पिंगलाक्ष ) ज ७ १७८ पिंगलक्खग ( पिंगलाक्षक) ज २।१२ पिंगलग ( विगलक ) ज ३।१६७ पिगलय ( पिंगलक ) ज ३३१६७|१,१७८ सू २०१२, ८, २०१८१४ पिंगायण (गायन) ज ७११३२ । ३ सू १० १०८ १. दे १।२६२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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