Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 455
________________ बुट्टि-वेद १०५१ ३०.१६,१६,२१,२३,२६,२८,३४!१२,१६, ३६८७ १८३५॥१८,२०,२३,३६२८,८१,६४ वेउब्वियसरीरग (वक्रिपशरीरक) प १२।३६ बुठि (वृष्टि) ज ३।११७ बेउब्वियसरीरय (वैक्रिशरीरक) प१२१८,२१.३१ वृड्ढकुमारी (वृद्धकुमारी) उ ४६ देउब्वियसरीरि (4 क्रियशरीरिन् ) प २८।१४१ वृड्ढय (वृद्धक) ज २१६५ वेंट (वन्त) ५१४४८४५ बुड्ढा (वृद्धा) उ ४६ वेटबद्ध (वन्तबद्ध) प १४४८।४० बुढि (वृद्धि) प ३३।१।१ ज ७१,१०,१३,१६, बेग (वेग) प २०२१ से २७,३० ज २११६ १६,६६,७२,७५,७८ चं २।४ सू ११६४,१२२७; वेगच्छिग (वैकक्षिक) ज ७।१७८ १३३१७ वेच्च (दे०,व्युत,ब्यूत) ज ४११३ वृत्त (उका) ज ३१८,१३,१६,२६,४२,५०,५३,५६, वैजयत (वजयन्त) प १११३८, २।६३,४१२६४ से ६२,६८,७०,७५,७७,८४,१००,१२५,१२६, २६६।६।४२,५६;७।२६:१५२८६,९२,१००, १४२.१४८,१६५,१६६,१८१,१८६,१६२; १०५,१०८,१०६,११३,११४,११६,१२०, ५१५,२२,२६,७० च २१४,५,५२ १२१,१२३,१२५,१२६,१३१,१३६२८६६ सू १।६।४,१६।३ उ १६४०,४५,५५,५८,८०, ज १११५ ८२,१०८,३७८,८२,११३; ४१२० बेजयंती (वैजयन्ती) प २४८ ज ३।३१,१७८%; ४१४६,२१२,५१८११,५४३ ; ७१२०१२,१८६ वेिज (वि+इ) वेअति सू ६१ ज्झ (वेध्य) ज ३।३२ वेइगा (वेदिका) ज ४११२८ वेड्ड (दे० वीडित) ज २१६० वेइया (वेदिका) प २।१२११९० ज २१२०, ४१३, बेढ (वेष्ट) ज २११३६ २५,३६,५७,६३,११०,१४८,१५६,२२१.२४५ बेढ (वेष्ट ) वेढइ उ ११४६ वेवि (वैऋिषिन) प २१४६ वेढय (वेष्टक) ज २११३६ वेउध्विय (क्रियक) प १२२१,२,४.५,८,१४,१८, वेढल (दे०) प ११५८ २४,२८,३३,३६:१६।५,२१।१,८३,१०४. वेढिम (वेष्टिम) ज ३।१११ १०५:२३१४२,६०,६२,१४६,१७३,३६।११, वेढिय (वेष्टित) ज ३१३२ ३६।३२ ज २१८०, १४०,५६७१५५,५८ ।। वेढेत्ता (वेष्टित्या) उ ११४६ गु१६२३ २६ वेणइया (वैनयिकी,वैण किया) प १९८ उ ११४१, वेदिवयमीससरीर (वैक्रियमिश्रशरीर) प १६३१, ३,७,१० वेणुदालि (वेणुदालि) प २।३७,३६,४०।७ देउब्वियमीसासरीर (वैक्रिमिश्रकशरीर) वेणुदेव (वेणुदेव) प २।३७,३८,४०१६ ज ४।२०८ ५१६।११,१२,१५,३६८७ वेणुयाणुजात (वेणुकानुजात) मू१२।२६ वेउब्वियसमुग्घाय (वै कि समुद्घात) प ३६११,४ ।। वेत्त (वेत्र) प ११४१।१:१११७५ ज २१६७ से ७,२८,३५ से ३८,४०,४१,५३ से ५८,७० वेद (वेदय ) वेदेइ प २३११११, २५१४ वेदेति ७३ ज ३१११५,१६२,२०८१५,७,२६,५५ प१७।२०,२३।११:२५१४,५,२७।२,३,३५१२, बेउब्वियसरीर (वैक्रियशरीर) प १२११२,१६; ३,५,७,६,११,१३,१४,१७ से २०,२२,२३ १६।१,३,७,१२,१५, २११४६ से ६५,६८ से वेदेति प २३१६,१०,१२ से २३:२५२,२७१२, ७१,७७,८१,६६,६८,१०१,१०४,१०५; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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