Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 459
________________ संखेज्जइभाग-संघयणपज्जव १०५५ ६.१,६३ से ६६,१०३,१०४,११०,११२,१२२, संखेवरुचि (संक्षेपरुचि) प १११०११११ १२३,१३० से १३२,१३५ से १३७,१३६ संखोहबहुल (मक्ष भवहुल) ज १११८ १४२,१४३,१८११५,२० से २३,२८,३२ से संग (राङ्ग) ज २०७० ३५,४७,५.० से ५२;३३।११,१५,३६१८,१४, संगइय (साङ्गतिक) ज २६ १७ से २०,२२,२३,२५,३३,४४,७०,७२,७४ संगंय (मग्रन्थ) ज २।६६ २॥४,५८,१५७,५७११६६३०,३१ संगत (मङ्गत) सू २०१७ संखेज्जइभाग (संख्येयभार) प|४३२११६५ से संचय (मङ्गा)ज २।१४,१५३।१०६,१३८ ७०,३६७२ ७.१७८ संखेज्जगुण (संख्येयगुण) प ३३४ २५,३७,३६,४३, संगह (मंग्रह) प १६१४६ ४४,४६,५३ से ५८,६०,६४ से ७१,८८ से संगहणिगाहा (मंग्रहणीगाथा) प २४.७:२११४७ ६५,६३,६६,१०६,११०,१२८ से १४०,१४४ संगहणी (संग्रहणी) १११७६१६।१,७११६७ से १५५,१७१ से १७४,१७,१७६ से १८३; गु १६६१ उ ३।१७१, ४।२८,५४५ ५१५,१०,२०,३२,१२६,१३४,१५१:६११२३; संगहणीगाहा (संग्रहणीगाथा) प १०५३ ८.५,७,६,११,१०।२६,२७,१५११३,३१; संगहिय (गहीत) ज ३१३५ १७॥५६,६३,६४,६६ से १८,७१ से ७३,७६, संगाम (संग्राम) ज ३।६२.११६ उ ।१४,१५, ७८,८० से ८३,२१।१०५,२८७,५३; २१,२२,२५,२६,१२६,१३७,१४० ३४।२५:३६।३५ से ४१,४० से ५१ ज ७११६७ सगामेमाण (सङ्ग्रामात्) उ श२२,२५,२६,१४० म् १८१३७ संगल्लि (दे०) ज ३।१७६ सिंगोव ( गुपसंगांवेंति ज २१४६,५६ संसेज्जजीविय (संख्येयजीवित) प ११४८१४१ संगवेस्संति ज २१५६ संखेज्जतिभाग (मंख्येयभाग) प १२।१६,१५१४१ संगोविज्जमाण (मंगोप्यमान) ३४६ संखेज्जपएसिय (संख्येयप्रदेशिक) प ५।१३४,१६२, संगोवेत्ता (संगोप्य) ज २१४६ १६३,१८१,१६६,१६७,२१७,२१८,१०११४, संगोवेमाण (मनीपयत) उ ११५७,५८,८२,८३ १७,२६,२६ संघ (सइ) प|३०,३१,४१ ज ११३१ ११२१ संखेज्जपदेसिय (संख्येयप्रदेशिक) प ३११७६; उ ५५ ५।१२७,१३३,१८०.१८१,१०।१८,२१,२६ संघट्ट (मं. घट ) गंध ति ५३६१६२ संखेज्जभाग (संख्येयभाग) प ५१५,१०,२०,३०, संघट्टा (संघद्रा) प ११४०।३ इरा नाम की लाा ३२,१२६,१३४ संघबाहिर (संघबाह्य) २०१६।४ संखेज्जवासाउग (गरुयेयवर्याक) प ६७१ संघयण (गहनन) प२३०,६१,४१,४६२३।६८, संखेज्जवासाउय (संख्येयवक) प६७१,७२. १०५,१०७,१६० न १,११६,४६,२८,८६, ७६,६७,६८,११३,११,२१५.३,५४,७२ १२३,१२६,१२८,१४८,१५१,१५७,४११०१, संखेज्जसमयद्वितीय (संख्येयसमयस्थिलिक) १७१ ११५ प३।१८१,५।१४८ संघयणणाम (पहननामन ) प २२३८,४५६४ संखेज्जसमयठितीय (संख्ये समयस्थितिक) -गे ६७,६६,१०० । प ३११८१ संघयणपज्जव (संहनगपर्यय) १,१४,१२१. संखेव (संक्षेप) प १।१०१।१ १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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