Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 421
________________ महोरग-मार्याणि महोरग ( महोरग ) प ११६८,७५,१३२ २०४५ ज ३१११५.१२४, १२५ महोमच्छाया (महोरगच्छाया) प १६१४७ मा (मा) उ १४१ ३ १०३,११२ : ४।११ माइ (मातृ) उ १२४६ २१२२, ४१२८ ६ ५।४३ माइमिच्छद्दिठि (मादिध्यादृष्टि ) प १५४६; १७ २२; ३४११२; ३५।२३ माइमिच्छहिउद ( मिथ्यादृष्टयुपपन्नक ) प १७२७,२६ माइमिच्छद्दिट्ठीउववण्णग (सामिध्यादृष्ट् युपपन्नक) प १७२७ माइय ( मात्रिक ) ज २११५ माईवाह (मातृवाह ) प ११४६ माउय (मातृक) ज ५१६ से १२,१७,४६,७२,७३ माउलिंग (मातुविङ्ग) प १।२६।१ माउलिंगाराम (मातुलिवाराम) उ ३२४८, ५५ माउलिंगी (मातुलिङ्गी ) प १।२७।१ माउलुंग ( मातुलिङ्ग) प १६।५५; १७।१३२ माह ( मागध ) ज ५।५५,६११२ से १४ मागकुमार ( मागधकुमार ) ज ३।१३१ मागतित्थ ( मागधतीर्थ ) ज २११४,१५,१५,२२१ २६,५५५ मागतित्थकुमार (भगवतीर्थकुमार ) ज ३१२०, २६,२७,२८.३० मागहतित्याधिपति ( माराघतीर्थाविपति) मागतित्याहिवर ( मागतीर्थाधिपति) माघी ( माघी) ज ७१४० माबिय (साम्बिक ) प १६।४१ ज २१२५; ३१, १०,७७,८६,१७८, १८६,१८,२०६,२१०, ३१२५ ३१२६ २१६,२१६,२२१,२२२११६२३।११, १०१,५११० माढरी (नाठरी ) प ११४८।४ माढी (माठी) ज ३।३१ माण (मान) प ११।३४।११४४४,६,८,१० १४ २२/२०,२३६,३५,१६४ ज २।१६,६६,१३३, ३६५,१३८, १५६,१६७ ३,२२१ १२ १७ १ Jain Education International उ ३१३४ माणसा (गालायिन् ) प ३१८:२८ ।१३३ माणसाय ( मानकपाय ) प १४ । १ भाकतायपरिणाम (मानकषायपरिणाम ) प १३१५ मादकसाथ (पानकपायिन् ) प ३६८ माणिस्तिया ( माननिथिता ) प ११।३४ माणसूरण (मानभञ्जन') ज ५१५८ भागवग ( माणवक ) ज २।१२०,३१६७१,६, ३।१७८४।१३५ सू २०१८ मानव ( मनवक ) ज ४११३३; ७ १८५ १०१७ सू १८/२३; २०१८४ माणस ( मानस ) प ३५१११२,३५६,७ ज ५।२६ माणसंजलणा (मानसंज्वलना) प २३१७० माणसण्णा ( भानसंज्ञा ) प ८१,२ मासराय (मानसमुद्घात ) प ३६ ४२,४६, ४८ से ५२ माणि ( मानिन्) ज ४३१७२ ।१ सू २०१६ २ माणिक्क (माणिक्य ) ज ३ | १०६ माणिभद्द ( माणिभद्र ) प २०४५ २०४५।१ ज १३; ७।२१४ च ७६ ११२, ४३।२।१३।१६९ भिड (माभित्रकूट ) ज ११३४,४६ माणूस (मानुष ) प २६४ १ १४ ज २।१५,६७; ३१९२, ११६,४११७७ सू १६२२/२/२०१२ सासवे ( मानुषक्षेत्र) १६।२१।१,२,१६१२६ (मानुषन) १६२२१२७,२६ १६।२१।६, २०२ राय (मानुपलोक ) भासुर (धनुषोत्तर) ७।५५, २८ सु. १६/१६ आयुस्तंग ( मानुष्यक) उ३।१३७ माणुस्य (धानुष्यक ) ज ३८२,१८७,२१८, २२१,४११७७ २०७१।११,३४, ५१२५ माता (मात्रा) २६४ माय (वा) माजा प २।६४।१६ सायंजय (पाताञ्जन) ज ४।२०२ माघकर (पायिन् ) प ३३६८, १८।६५ भार्याणि (मादनि) उ ५ २ १ १ ० ४ १०६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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