Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 394
________________ १६० पुवसंगइय-पेच्छाघरमंडव पुब्वसंगइय (पूर्वसांगतिक) उ ३१५५ ६०,६१,११३,११६; २११४४ से ४७,४७११, पुश्वसयसहस्स (पूर्वशतसहस्र) ज २१६४,८७,८८; २,६.२११६८,२४।१४,१५, २५२,४,२७१२,६; ३।१८५,२२५ २८।२७,७३ से ७६,१२१,१२४,१२७ से पृन्दाण पूवी (पूर्वानुपूर्वी) उ ११२,१७,३।२६,६६, १३२,१३६,१४३,१४५.;३६११७,३४ १३२,१४६,१५६; ४।११,५१३६ पुहत्तय (पार्थक्त्विक) घ १११८५ पुवा (पूर्व) सू १०१५,१२०,१११३;१२२२३ पुहवी (पृथ्वी) ज ३१३,३५, ५११०११ पुवापोट्ठवता (पूर्वप्रौष्ठपदा) सू १०॥५६ पूअफलीवण (पम्फलीवन) ज २६ पुवापोवया (पूर्वग्रीष्ठपदा) सू १०१४,५,६,२१, पूइ (पोई) प ११३५४३ २३,३१,८२,६६,१३१,१३२ पूइत्त (पुतित्व) ज २१६ पुवाफग्गुणी (पूर्व फल्गुनी) ज ७.१४०,१४८, पूइय (पूर्जित) ज ३।८१५१५ १५१,१६३ सु १०।२ से ६,१५,२३,४४,६२, पूजित (पूजित)उ ३१४८,५० ७०,७५,८३,१०६,१२०,१३१ से १३३,१५२; पूय (पूर्व) प १८४;२२० से २७ ज ३१२० १२।२३ उ ११५६,६१,६२८४,८६,८७ पुटवाभद्दक्या (पूर्व भद्र'दा) ज ७१४६,१५७ पूयथय (दे०) १११६५ सू१०।२,३,५,७५,१३१,१३३ पूयणवत्तिय (पूजनप्रत्यय) ज ५१२७ पुव्वामेव (पूर्व मेव) प ३६६२ उ ४।२१ पूणिज्ज (पूजनीय) सू १८१२३ पुवावर (पूर्वापर) ज १।२६,४१२१,१४२,२५६; पूयफली (पूगफली) ५ ११४३।२ ६।१०.११,१४,१५,१८ से २२,२६,७१४,६३, पूया (पूजा) उ ३१५१ ८७,११०,१८३ कपूर (पूरय्) पूरयंते ज ३१३१ पूरेड प ३६१८५ ज ७।११२१५ पुरेति ज ५११३ पूरेति पुत्वासाढा (पूर्वाषाढा) ज ७।१२८,१३६,१४०, मु १०1१२६५ १४६,१६७ सू १०।२ से ६,१६,२३,५३,६२, पूरग (पूरक) ज ३१८८ ७४,८३,११८,१३१ से १३५ पूरयंत (पूरयत्) ज २१६५,३१३१ पुटिव (पूर्वम् ) उ ३१११८ पूरिम (परिम,पूर्य) ज ३।२११ पुबिल्ल (पूर्वीय) ज ५।४१ पूरेत (रयत) ज ३१३०,४३,५१,६०,६८,१३०, पुयोववण्णग (पूर्वोपपन्नक) ६१७४४,६,१६,१७ १३८ से १४०,१४६,७११७८ पुस (पुष्प) ज ७।१२६।१ पूरेता (पूरयित्वा) ज ५।१३ पुस्स (पुष्य) ज ११३६,१४०,१४६,१६१,१६२ पूस (पुरुष) ज७।१२८.१३०,१८६।३ यु १०१४; सु १०।२,३,५,६,१३,२४,४१,६२,६८,६६, १२११६ से २३,२६ ७५,८३,१०६,१२०,१३१ से १३३,१५६; पूसफली (पुरुफली) ५११४०११ १११६१६।२२।१७ पूसमाणय (पुष्यमाणव) ज ३११८५ पुस्सदेवया (पुष्यदेवता) सू १०८३ पूसमाणव (पुष्यमाणव) २१६४,५३२ पुस्सफल (पुष्यफल) प १।४८४८ पेच्छणिज्ज (प्रेक्षणी) ज २०१५ पुस्सायण (पुप्यायण) ज ७/१३२१२ सू १०११८ पेच्छा (प्रेक्षा) ज २१२०,३२ पुहत्त (पृथक्त्व) प ७१३,६ से १११८१,८३,८४, पेच्छाघरसंठित (प्रेक्षागृहसं स्थित) मु४१२ १२।६१५।६,१८१४,१६,२४,३१,३६,४९,५४, पेच्छाघरमंडव (प्रेक्षागृहमण्डप) ज ३।१६३; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505