Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 407
________________ "भवंत-भाणितव्व ज ४१५१।१ सू ३११ उ १११४१, ३।५० भवति १४५ २८.३२.११ २२४७३ १५५८१ ३६।१।१ ज १।२६ ११३ भवतु ज २१६४ भवह उ ११४२ भविस्सइ अ १४७, १२७२|७१,१३१ १६४१.५०४३ भरिति ण २।१३३ भवे प १४५३० से ३८ २६ सू १९११११, ५१३, १५११,४, १६।२२।१३,१५,२११४,५ भवेज्जा ३८१ भवंत ( भवत् ) ज ३।२४/१,२,१३१।१,२ भवक्खय ( भवक्षय ) प २२६४।१० उ ३१८, १२५, १५२४।२६ ५।३०,४३ भवचरिम ( भवचरम ) प १०३६,३७ अवण (भवन) ए २१,४,१०,१३, ३० से ४०, ४०१३, ४,२१४२,४३,१११२५ ज ११३१,५१; २४१५,२०,६१,१२०,३३,२५,२६,३२१२, ३८,३६,४६,४७,५१,५२,१०३, १४०, १४१, १८३,१८६, २०४,४६, १०, ११,३३,४१,७०, १०,१३,१४७, १५२, १५५,१७४१०२,२३८, २४३५/१५ से ७,१७,४४,६७,७० उ १।३३ भवणपति ( भवनपति ) ज ३३१८६,२०४ भवणपत्थड (भवन प्रस्तट ) प २११ भवणवद्द ( भवनपति ) प १६।२९, २०१५४ ज २०६५० २६१०० से १०२,१०४,१०६,११०,११३ से ११६, १२०, ४२४८, २५०, २५१, ५२४७,५९, ६७,७२ से ७४ भवणवति ( भवनपति ) प ६।१०६, ३४।१६,१५ वणवासि (भगवान्) प ११३०,१३१:२४३०, ३०११,२३२:३।२६,१३३,१८३४।३१ से ३३,६१६५१७५१,७४,७६,७७,८१,०३ २०६१:२१।५५,६१,७० २।१४ ५५२ सू २०७ भवणवासिणी ( भवनवासिनी ) प ३।१३४,१०३: ४१३४ से ३६, १७।५१,७५,७६,८२, ८३ भवणावास भवनवास २०२० ३६ भवत्थवलि (नवस्थकेवलिन् ) ११८/६६, १०१ Jain Education International भवपारणिज्ज (भवधारणीय) व १५१८. १६ २११५८,५६,६१,६२,६५ से ६७,७०,७१ भवपच्चय (नवत्यधिक ) प ३३|१ भवसिद्धिय (भवसिद्धिक) प३।११३,१८३ 1 १८।१२२,२८।१११,११२ भवित्ता ( भूत्वा ) प २०१७ २२६५ उ ३११३ ४११४;५।३२ भविष (भविक ) प १।१।२२८ १०६।१ भविय ( भव्य ) ज ५५८२२४३, ४४ भवोवग्गह (भवोपग्रह ) प ३६३८३३१ भवोचवायगति (भवोपघातयति) १६०२४, ३१, ३२ भव्व ( भव्य ) प १६।५५: १७ १३२ कमरख, करेला भव्वपुरा ( भव्यपुरा ) ज ३।१६७/७ भसोल (दे०) ज ५५७ भाइ (भागिनेय) ०३ ३१२० भाइयत्व ( भेतव्य ) ज ५३५,७ से १०,१२,१३,४६ भाइल्लय (दे०) ज २२६ भाग (भाग) प २०१०,११:२३ १६०,१६४, १६७,. १७५२८४०, ४३,६९ २०६४ चं ५.१ नू ११६,२४.२६, २७.२९.३० २१.१.३२३ ४:४, ५, ७, १०, ६१.९१३: १०१२, १३२,१३५, १३८ से १४२.१४४ से १६३:११।२ से ६ १२१२,३.६ से ९.१२.१२.११ से २५, २० १३११.३,४.७ से १२.१४ से १७१४/३,७: १५२ से २०,२२ से २९.३१,३२,२४१०११ १०,२५,२६,१६२२।११, २०१३ भागसप ( भागशत ) ज ७१८१,८४,१८,१६,१०० भागसहस्स (भागसहस्र) ७८१,६५,९६ भाणित ( भणित) २१३२,४०, ४२,५०; ३।१८२४।६८, ५१२२.३९,४३,६१,७६.६६, १०,११७,१२२.१५२,२०६,२२६.२४४; ६२४६, ५६,६६, ८१, ८३,८६,८६,६२,६५, १००.१०२.१०३ १०७ १०८ १०११४:१६ २० १।१४,२२,२५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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