Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 379
________________ परिगहिया परियच्छिय २०५, २०६, २०६, ५१५, २१,४६, ५८ उ ११३६, ४५,५५,५८,६४,८०,८३,६६, १०७, १०८, ११६,११,१२२:३।१०६, १३८, १४८; ४।१५; ५।१७ परिगहिया ( पारिग्रहिकी ) प १७।११,२२,२३, २५, २२६०,६२,६७,७०,७६,६२,१०१ परिघ ( परिवृष्ट) ज ४१२८४१४३ परिछण (परिच्छन्न) ज २११२ परिजन ( परि + ज्ञा) परिचाणइ उ १३८; ३५८ परिजाणाइ उ ११०० परिजानेंति उ ३।११८ परिज्जय (दे० ) सू २०/२ परिणत (परिणत ) ११।४ से ६, ११४८।५६ (परिणम (परि + णम् ) परिणमति २८।२४ से २६,३६,४२,४५,४६,७१,७४, १०५३४/२०, २२ से २४ ज ७१११२१, ३, ५ १०११२६३१, ३, ५ परिणमति प १६।४६ १७ ११५ से १२२, १३,१४८ से १५२, १५४,१५५ परिणममाण (परिणमन् ) ज ३।२१,३४,५५,६४, १५२,८५,११२,१३८, १४४,१६८, १८३,१६१ उ ११६० परिणय ( परिणत ) प ११४, ६ से १ ज २०१६,५१५ उ ३३८, ४०, १२७, १२८; ५।४३ परिणयत्व (रणन्तव्य ) ज २११३३ परिणाम ( परिणाम ) प ११०५: १३ १:१७ ११४१, १३९; २३।१३ से २३,१६५,१६६ मे २०१ २८।१।१ ज २।१६,१३१: ३।२२३७।१३६३१, २११ / परिणाम ( परि - नमय् ) परिणामेति ११७/२; २८१२१,३३,६७ परिणामणया ( परिणामन ) प ३४। १ से ३ परिणामिय (नामित ) प २३।१३ से २३ परिणामेमाण (रिणमयत् ) उ ११४१, ४३ परिणाह ( परिणाह ) ज ४११०२ परिणिय ( परिनिष्ठित ) ज ३१३५ Jain Education International / परिणित्वा ( परि + नि । वा ) परिणिव्वंति ज ११२२, ५० २१५८, १२३, १२८ ४ १०१ परिणाइ ३६८८ परिणिव्वायंति १ ६।११० परिणिव्वाति प ३६३६२ परिणिव्वाहिति ज २।१५१,१५७ परिणिवाण (परिनिर्वाण ) ज २।११६ परिणिवुड (परिनिर्वृत) ज २२६८, ३।२२५ परिणिय (परिनिर्वृत) ज २२८५,६० परितंत (परितान्त) उ ११५५,७७ परित (एरीत ) १।४८।२० से २६, ३४ से ३७, ४३, ५२, ५६ ३११२,१०६, १८१११२.१०६; म १३१२, १४४,८ परितमितिया (पतमिश्रिता) १११।३६ परित्तास (रित्रास ) ज २३७० परिधान रिपाव् ) परिधाति ज ५१५७ V परिनिन्दा (परि+नि+वा) परिनिव्वाहिइ उ ५।४३ परिनिव्वुड (परिनिर्वृत) ज २८८८ परिपीलइत्ता (परिपीड्य ) प २८१२०,३२,६६ परिपीलिय (परिपीडित) ज २११३३ परिपु छणा (परिप्रच्छन) ज ७११७८ परिभट्ट (परिभ्रष्ट ) ज २।१३३ परिभाएता (१रिभाज्य ) ज २१६४ परिभाएमाण (परिभाजयत् ) उ११३४,४६,७४ परिभाग (परिभाग) सु १०।१७३ परिभुंजेमाण (परिभुञ्जान) उ ११३४,४६,७४ परिभुज्जमाण (रिभुज्यमान) ज ४११०७ परिभोगत (परिभोगत्व) ज २१२४,३४,३५,३७, ७२०२,२०४,२०७ परिमंडल (परिमण्डल ) प ११४ से ६,१०।१५ से २४,२६ से ३०/११/२५१३।२४ ज ५१५,७, २२ से २४ परिमंडिय (परिमण्डित) ज ११३७३१,३५, १०६,११७.११८, १७८५२४३ ७ १७८ परिमाण (परिमाण) ज २३६ ; ४।१६८,२४३ परियच्छ ( परिकक्षित ) ज ५१४३ ६७५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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