Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 353
________________ दुरुह-दूसमदूसमा दुरूह (आ--रुह) दुरूहइ उ ११११०,४।१५ १४,१६,१८,२३ ज २११,५,६,५॥१६७।११४ दुरूहेइ उ ४।१८ सू १०८६,१२१,१२४,१८१२०,२०१३ दुरूहित्ता (आरुह य) उ ११११०,४।१५ उ ३१३१,३८,४०,४२,४४ दुरूहेत्ता (आरह य) उ ४११८ दुन्विसय (दुर्विपत्र) ज २।३१ दुल्लह (दुर्लभ) ज३।११७ सू २०६१ दुसमइय (द्विसामयिक) प १११७१:३६।६०,६७, दुव (द्वि) ज ११२५ च ४.३ सु ११८१३ उ १११११ ६८,७१,७५ दुवयण (द्विवचन) प ११८६ दुसमयद्वितीय (द्विसमयस्थितिक) प १११५१ दुवण्ण (दुर्वण) ज २११५,१३३ दुसमसुसमा (दुप्पमसुपमा) ज २१४६ दुवार (द्वार) ज ३०८३,८५,८८ से ६०,६३,१०३, दुस्समदुस्समा (दुप्पमदुप्पमा) ज २।२,३,६ १५४,१५७,१६२.१८६ दुस्समसुसमा (दुप्पमसुसमा) ज २२२,३,६,४६ दुवालस (द्वादशन ) प २१६४ ज १२० सू १११३ दुस्समा (दुष्पमा) ज २१२,३,६ उ२११० दुहओ (द्वितस्,द्वय) ज ४१६१ सू १०।१३६,२०१७ दुवालसंसिय (द्वादशासिक) ज ३१९४,१३५,१५८ दुहओवत्त (द्वितआवर्त) प ११४६ दुवालसक्खुसो (द्वादशकृत्वस्) ग १२।२ स ६,११ दुहणाम (दुःखनामन्) प २३१२० दुवालसमा (द्वादशी) सू १०।१४१,१४६,१४८,१५५, दुहट्ट (दुधाट्ट) उ १४५२,७७ दुहता (दुःखता) १ २३११६ दुवालसमी (द्वादशी) १०११४८,१५० दुहतो (द्वितम् द्वय) सू १०.१७३ दुवालसविह (द्वादविध) प ११३४; १२१३७ दहतोनिसहसंठिय (द्वितोनिषधसंस्थित) सू ४।३ ज ७१०४ सू १०।१२६ उ ३१७६,१४३ दुहत्त (दुःखत्व) प २८।२६ दुविध (द्विविध) सू ४१ दुहया (दुःखता) प २३१३१ दुविह (द्विविध) प१।१,२,४,१०,११,१६ ने १८ दुहा (द्विधा) ज १११६,२०,२३,४११,४२,६२,६४, २० से ३२,३४,४८ से ५१,५३,५७,५६ से १०८,१७२ ६१,६६,६७,६६,७५,७६,८१,८२,८८,९०, दूइज्जमाण (यमाण) ज ३.१०६ उ१२,१७, १००.१०२ से १२३.१२५ मे १२६,१३१ से ३।२६,६६,१३२,५:३६ १३८,५१,१२३,६।११५,११६:१११३१,३२, भगणाम (दुर्भगनामन्) प २३1३८,१२४ ३५,३६,४१,१२७ से १३,१६ स १८,२०, दूमिय (दे० धवलित) सू २०१७ २१,२३,२४,२७.३१ से ३३,१३११,८,२२ दूमिय (दून) उ १।५६,६३,८४ २३.२७.३१:१५॥१८,१६,४८.४६,६८,७१, दूय (दूत) ज ३१६,७७,२२२ उ ११९२,१०७ से ७२,७५,७६,१६३५,२८,३३,३५,१७४२.४,६, ११६,१२७ ६.१६,२३,२५.२७,१८११३,२५,५५.६३,६७ ६८,७६.७६,८६.६४.६७,६६१०१.१०६. दूर (दूर) प २१४६,५०,५२,५३,६३,१७११०६ १०६.१११,१२७,२११४ से ७,६ से २०,४६, ज ७।३६,३८ सु।।१ ५५.५८,५६,६१.६५,६६,७०।२२।२,३.८; दूरतराग (दूरतरक) प १७।१०८,११० २३१६,२६,२६,३२,३४,४८,५६,५७:२८१४, दूस (दुष्य) ज २१२४,६५,६९,३१९,२२२ ४०,५०,३६, २६३१.५,८,६,११,१४,३०१,५, दूसमदूसमा (दुष्षमदुष्षमा) ज २११३०,१३५, ७,११,१२७३३३१,३४११२,३५।११२,३१२, १३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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