Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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|| पुच्छा, गो०! जह० सागरोवमस्स दोण्णि सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया उक्को० वीसं सागरोवमको० वीस ||
य वाससताई अबाहा० हासरतीणं पुच्छा, गो०! जह० सागरोवमस्स एवं सत्तभागं पलितो वमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणं उक्को० दस सागरोवमकोडाकोडीतो दस वाससताई अबाहा०, अतिभयसोगदुगुंछाणं पुच्छा, गो०! जह० सागरोवमस्स दोण्णि सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया उक्को० वीसं सागरोवमकोडाकोडीतो वीसं वाससताई अबाहा०, नेरइयाउयस्सणं पुच्छा, गो०! जह० दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाई पुव्वकोडीतिभागभब्भहियातिं, तिरिक्खजोणियाउयस्स पुच्छा, गो०! जह० अंतो० उक्को० तिण्णि पलितोवमाई पुवकोडितिभागमभहियाई, एवं मणूसाउयस्सवि, देवाउयस्स जहा नेरइयाउयस्स ठितित्ति, निरयगतिनामाए णं पुच्छा, गो०! जह० सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागा पलितोवमस्स असंखिजतिभागेणं | ऊणया उक्को० वीसं सागरोवमकोडाकोडीतो वीसं वाससताई अबाहा०, तिरियगतिनामाए जहा नपुसंगवेदस्स, मणुयगतिनामाते पुच्छा, गो०! जह० सागरोवमस्स दिवद्धं सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणगं उक्को० पण्णरस सागरोवमकोडाकोडीतो पण्णस, वाससताई अबाहा० देवगतिनामाए णं पुच्छा, गो०! जह० सागरोवमसहस्सस्स एगं सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणयं उक्को० जहा पुरिसवेदस्स, एगिंदियजातिनामाए णं पुच्छा, गो०! जह० सागरोवमस्स दोण्णि सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया उक्को० वीसं सागरोवमकोडाकोडीतो वीसई वाससताई अबाहा०, बेइंदियनातिनामे || श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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