Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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||णवरं चक्खुदंसणं अब्भहियंचरिदियाणंति, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया,मणूसा जहा जीवा, वाणमंतरजोतिसियवेमाणिया
जहा नेरइया ३१३॥ उवओगपयं २९॥ । कतिविहा णं भंते! पासणया पं०?, गो० दुविहा पासणया पं० २०- सागारपासणया अणागारपासणया, सागारपासणया णं भंते! कइविहा पं०?, गो०! छव्विहा पं० तं०- सुयणाणपा० ओहिाणपा० मणुपजवणाणपा० केवलणाणपा० सुयअण्णाणपा० विभंगणाणपासणया, अणागारपा० णं भंते! कइविधा?, गो०! तिविहा पं० ०- चक्खुदंसणअणागारपा० ओहिदं० केवलदं०, एवं जीवाणंपि, नेरइयाणं भंते! कतिविधा पासणया पं०?, गो०! दुविह। पं० २०- सागारपा० अणागा०, नेरइया णं भंते! सागारपा० कइविही पं०?, गो०! चउव्विहा पं० २०- सुयणाणपा० ओहिणाणपा० सुअण्णाणपा० विभंगणाण, नेरझ्याणं भंते! अणागारपा० कतिविही पं०?, गो०! दुविहा पं० २०-चक्खुदंसण० ओहिदं०, एवं जाव थणियकुमारा, पुढवीकाइयाणं भंते! कतिविहा पासणया पं०?, गो०! एगा सागारपा०, पुढवीकाइयाणं भंते! सागारपा० कतिविहा पं०१०, गो०! एगा सुयअनाणसागारपा०६०, एवं जाव वणफइकाइयाणं, बेइंदियाणं भंते! कतिविहा पासणया पं०?, गो०|| एगासागरपासणया पं०, बेइंदियाणं भंते! सागारपा० कइविहा पं०?, गो०! दुविहा पं० २०- सुय्णाणसा० सुयअण्णाणसा०, एवं तेइंदियाणवि, चउदियाणं पुच्छा, गो०! दुविह। पं० २०- सागारपा० अणागारपा०, सागारपासणया जहा बेइंदियाणं, ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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