Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 314
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||णवरं चक्खुदंसणं अब्भहियंचरिदियाणंति, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया,मणूसा जहा जीवा, वाणमंतरजोतिसियवेमाणिया जहा नेरइया ३१३॥ उवओगपयं २९॥ । कतिविहा णं भंते! पासणया पं०?, गो० दुविहा पासणया पं० २०- सागारपासणया अणागारपासणया, सागारपासणया णं भंते! कइविहा पं०?, गो०! छव्विहा पं० तं०- सुयणाणपा० ओहिाणपा० मणुपजवणाणपा० केवलणाणपा० सुयअण्णाणपा० विभंगणाणपासणया, अणागारपा० णं भंते! कइविधा?, गो०! तिविहा पं० ०- चक्खुदंसणअणागारपा० ओहिदं० केवलदं०, एवं जीवाणंपि, नेरइयाणं भंते! कतिविधा पासणया पं०?, गो०! दुविह। पं० २०- सागारपा० अणागा०, नेरइया णं भंते! सागारपा० कइविही पं०?, गो०! चउव्विहा पं० २०- सुयणाणपा० ओहिणाणपा० सुअण्णाणपा० विभंगणाण, नेरझ्याणं भंते! अणागारपा० कतिविही पं०?, गो०! दुविहा पं० २०-चक्खुदंसण० ओहिदं०, एवं जाव थणियकुमारा, पुढवीकाइयाणं भंते! कतिविहा पासणया पं०?, गो०! एगा सागारपा०, पुढवीकाइयाणं भंते! सागारपा० कतिविहा पं०१०, गो०! एगा सुयअनाणसागारपा०६०, एवं जाव वणफइकाइयाणं, बेइंदियाणं भंते! कतिविहा पासणया पं०?, गो०|| एगासागरपासणया पं०, बेइंदियाणं भंते! सागारपा० कइविहा पं०?, गो०! दुविहा पं० २०- सुय्णाणसा० सुयअण्णाणसा०, एवं तेइंदियाणवि, चउदियाणं पुच्छा, गो०! दुविह। पं० २०- सागारपा० अणागारपा०, सागारपासणया जहा बेइंदियाणं, ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ | ३२३ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345