Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
गो०! नो सण्णी असण्णी नो सण्णीनोअसण्णी, एवं बेइंदियतेइंदियचउरिंदियावि, मणूसा जहा जीवा, पंचिदियतिरिक्खजोणिया वाणमंतरा य जहा नेरइया, जोतिसियवेमाणिया सण्णी नो असण्णी नो नोसण्णीनो असण्णी, सिद्धाणं पुच्छा, गो० ! नो सण्णी नो असण्णी नोसण्णिनो असण्णी, नेरइयतिरियमणुया य वणयर असुराइ सण्णी सण्णी यो विगलिंदिया असण्णी जोतिसवेमाणिया सण्णी ॥२२९ ॥ ३१६ । सण्णीपयं ३१ ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जीवा णं भंते! किं संजया असंजया संजया संजया नोसंजयनो असंजयनोसंजया संजया ?, गो० ! जीवा संजयावि असंजयावि संजया संजयावि नोसंजयनो असंजयनोसंजया संजयावि, नेरइया णं भंते! पुच्छा, गो० ! नेरइया नो संजया असंजया नोसंजया संजया नो नोसंजयनो असंजयनोसंजयासंज्या, एवं जाव चउरिंदिया, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गो० ! पंचिदियतिरिक्खजोणिता नो संजता असंजतावि संजतासंजतावि नो संजतनो असंजत नो संजतासंजता, मणुस्साणं पुच्छा, गो० ! मणूसा संजतावि असंजतावि संजता संजतावि नो संजतनो असंजत नो संजतासंजता, वाणमंतर जोतिसियवेमाणिया जहा नेरइया, सिद्धा णं पुच्छा, गो० ! सिद्धा नो संजता नो असंजता नो संजनासंजता नो संजत नो असंजत नो संजतासंजता, गाहा संजयअसंजय मीसगा य जीवा तहेव | मणुया यो संजतरहिया तिरया सेसा अस्संजता होंति ॥ २२२ ॥ ३१७॥ संजयपयं ३२ ॥
भेद विसय संठाणे अब्भिंतर बाहिरे य देसोही । ओहिस्स य खयवुड्ढी पडिवाई चेव अपडिवाई ॥ २२३॥ कइविहा णं भंते! ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ।।
पू. सागरजी म. संशोधित
३२६
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345