Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 315
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरिदियाणं भंते! अणागारपा० कइविहा पं०? गो०! एगा चक्खुदंसणअणागारपा० ५०, मणूसाणं जहा जीवाणं, सेसा जहा || | नेरइया जाव वेमाणियाणं, जीवा णं भंते! किं सागारपस्सी अणागारपस्सी?, गो०! जीवा सागारपस्सीवि अणागार०, से केण्टेणं । भंते! एवं वुच्चइ जीवा सागार० अणागार०?, गो०! जे णं जीवा सुतणाणी ओहि० मणपज्जव० केवल० सुअअ० विभंगनाणी ते णं जीवा सागारपस्सी, जे णं जीवा चक्खुदंसणी ओहिदसणी केवलदसणी ते णं जीवा अणागारपस्सी, से एतेणटेणं गो० एवं वुच्चइ जीवा सागारपस्सीवि अणागा०, नेरइया णं भंते! किं सागारपस्सी अणागा०,. गो०! एवं चेव, नवरं सागारपासाणयाए मणपज्जवनाणी केवलनाणी न वुच्चति, अणागारपासणयाए केवलदंसणं नस्थि, एवं जाव थणियकुमारा, पुढवीकाइयाणं पुच्छा, गो०! पुढवीकाइया सागारपस्सी जो अणागारपस्सी, से केण्टेणं भंते! एवं वुच्चइ०, गो०! पुढवीकाइयाणं एगा सुयअण्णाणसागारपासणया पं०, से तेण०?, गो०!, एवं जाव वणस्सतिकाइयाणं, बेइंदियाणं पुच्छा, गो०! सागारपस्सी णो| अणा०, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चति?, गो०! बेइंदियाणं दुविहा सागारपासणया पं० तं०- सुयणाणसा० सुयअण्णाणं०, से एएणद्वेणं गो०! एवं वुच्चइ०, एवं तेइंदियाणवि, चारिदियाणं पुच्छा, गो०! चारिदिया सागारपस्सीवि अणागारपस्सीवि, से | केण्डेणं०?, गो०! जेणं! चउरिदिया सुथणाणी सुयअन्नाणी तेणं चारिदिया सागारपस्सी, जेणं चरिदिया चक्खुदंसणी तेणं | चरिदिया अणागारपस्सी, से एएणटेणं गो०! एवं वुच्चइ चरिदिया०, मणूसा जहा जीवा, अवसेसा जहा नेरइया जाव ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित | ३२४ For Private And Personal Use Only

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