Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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|वमाणिया।३१४। केवली णं भंते! इमं रयणप्प पुढवी आगारहिं हेतूहिं उवमाहिं दिलुतेहिं वण्णेहिं संठाणेहिं पमाणेहिं पडोयारेहिं | जंसमयंजाणति तंसमयं पासइ जंसमयं पासइ समयं जाणइ?, गो०! नो तिणढे समढे, सेकेणटेणं भंते! एवं वुच्चति केवली णं इमं रयणप्यभं पुढवी आगारेहिं० जंसमयं जाणति नो समयं पासति जंसमयं पासइ नो समयं जाणइ?, गो०! सागारे से णाणे भवति अणागारे से दंसणे भवति, से तेणटेणं जाव णो समयं जाणाति, एवं जाव अहे सत्तभं, एवं सोहम्मकप्पं जाव अच्चुयं, गेविजगविमाणा अणुत्तरविमाणा ईसीपब्भारं पुढवीं परमाणुपोग्गलं दुपदेसियं खंधं जाव अणंतपदेसियं खंधं, केवली णं भंते! इभं रयणप्यभं पुढवीं अणागारेहिं अहेतूहिं अणुवमाहिं अदिलुतेहिं अवण्णेहिं असंठाणेहिं अपमाणेहिं अपडोयारेहिं पासति न जाणति?, हंता गो०! केवली णं इमं रयणप्पमं पुढवीं अणागारेहिं जाव पासति न जाणति, से केण्टेणं भंते! एवं वुच्चतिकेवली इमं रयणप्प पुढवीं अणागारेहिं जाव पासति ॥ जाणति, गो०! अणागारे से दंसणे भवति सागारे से नाणे भवति, से तेण० गो०! एवं वुच्चइ केवली णं इमं स्यणप्यभं पुढवीं अणागारेहिं जाव पासति ण जाणति, एवं जाव ईसिपब्भारं पुढवी परमाणुपोग्गलं अणंतपदेसियं खंधं पासति न जाणति३१५। पासणयापयं ॥ ३०॥ __ जीवाणं भंते! किं सण्णी असण्णी नोसण्णीनोअसण्णी?, गो०! जीवा सण्णीवि असण्णीवि नोसण्णीनोअसण्णीवि, नेरइयाणं पुच्छा, गो०! नेरइया सण्णीवि असण्णीवि नोसण्णीनोअसण्णी, एवं असुरकुमारा जाव थणियकुमारा, पुढवीकाइयाणं पुच्छा, ||॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥]
पू. सागरजी म. संशोधित
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