Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कइविहे गं भंते! उवओगे पं०?, गो०! दुविहे उवओगे पं० ०- सागारोवओगे य अणागारोवओगे य, सागारोवओगे णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! अट्ठविहे पं० २०-आभिणिबोहियनाणसागारोवओगे सुय० ओहि० मणपज्जव० केवल मतिअण्णाण सुयअ० विभंगणाणसा०, अणागारोवओगे णं भंते! कतिविहे ५०?, गो०! विहे पं० २०चक्खुदंसणअणागारोवओगे अचक्खुदं० ओहिदं० केवलदसणअणागारोवओगे य, एवं जीवाणं, नेरझ्याणं भंते! कतिविधे उवओगे पं०, गो०! दुविधे उवओगे पं० तं०- सागारोवओगे य अणागारोवओगे य, नेरझ्याणं भंते! सागारोवओगे कइविहे पं०?, गो०! छविहे पं० २०- मतिणाणसागारोवओगे सुयणा० ओहिणा० मतिअण्णा० सुय अ० विभंगणाणसा०, नेरझ्या णं भंते! अागारोवओगे कइविहे पं० २०?, गो०! तिविहे पं० २०- चखुदसण० अचक्खु० ओहिदसणअणा०, एवं जाव थणियकुमारणं, पुढवीकाइयाणं पुच्छा, गो०! दुविहे उवओगे पं० २०- सागारो० अणगारोव०, पुढवी० सागारोवओगे कतिविधे |६०?, गो०! दुविहे पं० २०- मतिअण्णाण सुयअ०, पुढवीका० अणागारो० कतिविधे पं०, गो०! एगे अचक्खुदंसणअणाo पं०, एवं जाव वणफइकाइयाणं, बेइंदियाणं पुच्छा, गो०! दुविधे उवओगे पं० २० सागारोवओगे य अणागारोवओगे य, बेइंदियाणं भंते! सागारो० कतिविधे पं०?, गो०! चविहे पं० २०- आभिणि सुय० मतिअण्णाण सुतअण्णाणसा०, बेइंदियाणं अणाo कइविहे पं०?, गो०! एगे अचखुदंसणअागारो०, एवं तेइंदियाणवि, चउरिदियाणवि एवं चेव नवरं अागारोवओगे दुविधे ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
| ३२१
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345