Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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||जीवे णं भंते! णाणावरणिज कम्मं बंधमाणे कति कम० वेदेति?, गो०! नियमा अट्ठ कम्मपगडीतो वेदेति, एवं नेरइए जाव||
वेमाणिए, एवं पुहुत्तेणवि, एवं वेदणिजवजं जाव अंतराइयं, जीवेणं भंते, वेदणिज्ज कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीतो वेदेति?, गो० सत्तविहवेदए वा अट्ठविहवेदए वा चउव्विहवेदए वा, एवं मणूसेवि, सेसा नेरझ्याई एगत्तेण पुहुत्तेणवि नियमा अढ कम्मपगडीओ वेदंति जाव वेमाणिए,जीवा णं भंते! वेदणिजम्मबंधमाणा कति कम्मपगडीतो वेदेति?, गो०! सव्वेविताव होजा अढविहवेदगा य चविहवेदगा य अहवा अविहवेदगा य चव्विह० गा सत्तविहवेदगे य अहवा अविहवेदगा य चवि० गा सत्तवि० गा, एवं मणूसावि भणियव्वा ३०१॥ कम्मबंधवेयपयं २५॥ ___ कति णं भंते! कम्मपगडीओ०, गो०! अट्ठकम्म५० ५० तं०- णाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, जीवे णं भंते! णाणावरणिज कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति?, गो०! सत्तविहबंधए वा अविहबंधए वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए वा, नेरइए णं भंते! णाणावरणिज्ज कम्म वेदेमाणे कति कम्म० बंधति?, गो०! सत्तविहबंधए वा अवि० गे, एवं जाव वेमाणिते, मणूसे जहा जीवे, जीवा णं भंते! णाणावरणिजं कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपपगडीतो बंधति?, गो०! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्ठविह० गा अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा छविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगाय अविहबंधगा य छव्विहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा एगविहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगा य अवि० गा ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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