Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ अन्तकृत्-केवली : एक विहंगम दृष्टि :--- अध्ययन : इस शास्त्र के तीसरे वर्ग में तेरह अध्ययन हैं। गजसुकुमार के अतिरिक्त शेष बारह अध्ययनों में जितने चरितनायक हैं, वे सब चौदह पूर्वो के ज्ञानी होकर कैवल्य को पानेवाले हुए हैं। चौथे वर्ग के सभी चरितनायक द्वादशांगी वाणी का अध्ययन करके अन्तकृत हुए हैं। गजसुकुमार अनगार किसी भी शास्त्र का अध्ययन किए विना ही अंतकृत हए हैं। शेष सभी ग्यारह अंगों का अध्ययन करके अंतकृत हुए। दीक्षा :--- दीर्घकालिक दीक्षा पर्यायवाले एक अतिमुक्त कुमार हुए हैं, जो कि अन्य चरितनायकों को अपेक्षा अधिक काल तक संयम पाल कर अंतकृत् हुए हैं। अतिमुक्तकुमार एक ऐसे चरितनायक हुए हैं जिन्होंने यौवनकाल से पूर्व ही प्रव्रज्या ग्रहण कर ली। गज सुकुमार एक ऐसे चरित-नायक हैं जो प्रव्रज्या-ग्रहण के अनन्तर कुछ घंटों में ही कर्म-क्षय कर अंतकृत् हुए हैं / अन्य कोई भी साधक इतनी स्वल्पायु में अंतकृत् नहीं हो पाया। छह मास की दीक्षा पर्याय और पंद्रह दिनों का संथारा अर्जुन अनगार को प्राप्त हुआ, शेप सभी चरितनायक वर्षों की दीक्षा पर्याय और मासिक संथारेवाले हुए हैं। जीवन : दो चरितनायक आबाल ब्रह्मचारी हुए हैं, शेष सभी चरितनायक भोग से निवृत्ति पाकर योगवृत्ति ग्रहण करके अंतकृत् हुए हैं। दो नरेश अन्तकृत् हुए हैं, शेष सभी राजकुमार युवराज तथा महारानियाँ अन्तकृत् हुए हैं। गजसुकुमार और अर्जुन अनगार को परिषह सहने का काम पड़ा, अन्य अनगारों को नहीं। एक अर्जुन अनगार के अतिरिक्त शेष सभी चरित-नायक राजकुल और श्रेष्ठी कुल में उत्पन्न अन्तकृत हुए हैं। स्थान : अनगारों में एक गजसुकुमार का निर्वाण श्मशान भूमि में हना है, शेष सभी अनगार शत्रजय और विपूल गिरि पर संथारे के साथ निर्वाण प्राप्त करते हैं। सभी साध्वियां उपाश्रय में ही अन्तकृत् हुईं। नर-नारी : ___ पांचवें, सातवें और आठवें अध्ययन में तेतीस र जरानियों के जीवन-चरित हैं जो कि अंतकृत् हुए हैं / शासन :-- अरिष्टनेमि भगवान् के शासन में तेतीस अनगार अन्तकृत् केवली हुए और महावीर भगवान के शासन में सोलह अनगार अन्तकृत् केवली हुए। भगवान् अरिष्टनेमि के शासन में दस महारानियाँ दीक्षित होकर अंतकृत् हुई और भगवान् महावीर के शासन में तेतीस महारानियाँ दीक्षित होकर अंतकृत हई / [18] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org