Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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सोतिंदियचलणा २, एवं जाव फासिंदियचलणा, से केण्डेणं भंते! एवं वुच्चइ भणोजोगचला २?, गोयमा! जण्णं जीवा मणजोए|| वट्टमा भणजोगप्पाओगाई दव्वई मणजोगत्ताए परिणामेमाणा भणजोगचलणं चलिंसु वा चलिंति वा चलिस्संति वा से तेणद्वेणं| जाव मणजोगचलणा २, एवं वइजोगचलणावि, एवं कायजोगचलणावि ।६००।अह भंते! संवेगे निव्वेए गुरूसाहम्मियसुस्सूसणया आलोयणया निंदणया गरहणया खभावणया सुयसहायता विउसमणया भावे अपडिबद्धया विणियट्टणया विवित्तसयणासणसेवणया || सोइंदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे जोगपच्चक्खाणे सरीरपच्चक्खाणे कसायपच्चक्खाणे संभोगपच्चक्खाणे उवहिपच्चक्खाणे भत्तपच्चक्खाणे खमा विरागया भावसच्चे जोगसच्चे करणसच्चे मणसमण्णाहरणया वयसमन्नाहरणया कायसमन्नाहरणया कोहविवेगे| जाव भिच्छादसणसल्लविवेगे णाणसंपन्नया दंसणसं० चरित्तसं० वेदणअहियासणया मारणंतियअहियासणया एए णं भंते! पया किंजवसाणफला पं० समणाउसो?, गोयमा! संवेगे निव्वेगे जाव मारणंतियअहियासणया एए णं पया सिद्धिपज्जवसाणफला पं० समणाउसो! । सेवं भंते! २ जाव विहरति ६०१॥श० १७ ३० ३॥
तेणं कालेणं० रायगिहे नगरे जाव एवं क्यासी अस्थि णं भंते! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ?, हंता अस्थि, सा भंते! किं| पुट्ठा कजइ अपुढा०?, गोयमा! पुट्ठा कजइ नो अपुट्ठा कज्जइ, एवं जहा पढभसए छटुद्देसए जाव नो आणाणुपुविकडाति वत्तव्वं सिया, एवं जाव वेभाणियाणं, नवरं जीवाणं एगिदियाण य निव्वधाएणं छहिसिं वाघायं पडुच्च सिय तिदिसिं सिय चउदिसिं सिय
॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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