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ठाणं (स्थान)
२५. सामंतोवणिवाइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहाजीवसामंतोवणिवाइया चेव,
अजीव सामंतोवणिवाइया चेव ।
अजीवसाहत्थिया चैव ।
किरिया
स्थान २ : २५-२६
सामन्तोपनिपातिकी क्रिया द्विविधा २५. सामन्तोपनिपातिकी क्रिया दो प्रकार की प्रज्ञप्ता, तद्यथाजीवसामन्तोपनिपातिकी चैव,
है
२६. दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं द्वे क्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा—
जहा -
साहित्थिया चेव,
स्वास्तिकी चैव
सत्थिया चेव ।
सृष्टिकी चैव ।
२७. साहित्थिया किरिया दुविहा स्वाहस्तिकी क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता,
तद्यथा-
पण्णत्ता, तं जहाजीवसाहत्थिया चेव,
जीवस्वास्तिकी चैव,
अजीवणेसत्थिया चेव ।
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अजीव सामन्तोपनिपातिकी चैव ।
२८. सत्थिया किरिया दुविहा नैसृष्टिकी क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता,
तद्यथा
पण्णत्ता, तं जहाजीवणेस त्थिया चेव,
अजीवस्वास्तिकी चैव ।
सृष्टी
अजीवनैसृष्टिकी चैव ।
२६. दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं द्वे क्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा
जहाआणवणिया चेव,
आज्ञापनिका चैव,
वेयारणिया चेव ।
वैदारणिका चैव ।
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जीवसामन्तोपनिपातिकी - अपने पास की सजीव वस्तुओं के बारे में जनसमुदाय की प्रतिक्रिया सुनने पर होनेवाली प्रवृत्ति । अजीवसामन्तोपनिपातिकी --- अपने पास की निर्जीव वस्तुओं के बारे में जनसमुदाय की प्रतिक्रिया सुनने पर होनेवाली प्रवृत्ति" ।
२६. क्रिया दो प्रकार की है
स्वास्तिकी - अपने हाथ से होनेवाली क्रिया |
सृष्टिकी - किसी वस्तु के फेंकने से होनेवाली क्रिया" |
२७. स्वास्तिकी क्रिया दो प्रकार की है
जीवस्वास्तिकी - अपने हाथ में रहे
हुए जीव के द्वारा किसी दूसरे जीव को मारने की क्रिया । अजीवस्वाहस्तिकी - अपने हाथ में रहे हुए निर्जीव शस्त्र के द्वारा किसी दूसरे जीव को मारने की क्रिया" ।
२८. सृष्टिकी क्रिया दो प्रकार की है
जीवन सृष्टिकी - जीव को फेंकने से होनेवाली क्रिया ।
अजीव सृष्टिकी - अजीव को फेंकने से होनेवाली क्रिया ।
२६. क्रिया दो प्रकार की है
आज्ञापनी - आज्ञा देने से होनेवाली क्रिया |
वैदारिणी - स्फोट से होनेवाली क्रिया ।
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